मेरठ

Once Upon A Time: 200 साल पुराने कंठी माता मंदिर में होली पर होती है विशेष पूजा, देवी मां करती हैं रोगों से मुक्त

Highlights

मेरठ शहर के कंठी माता मंदिर में होली पर चली आ रही परंपरा
विशेष पूजा में गले, चर्म, मन, हृदय संबंधी रोगों से मिलती है मुक्ति
कंठी माता मंदिर में शिवरात्रि से शुरू हो जाती है विशेष पूजा-अर्चना

 

मेरठMar 09, 2020 / 12:59 pm

sanjay sharma

मेरठ। शहर में बच्चा पार्क स्थित कंठी माता मंदिर में होली पर कंठी देवी की विशेष पूजा-अर्चना होती है। 200 साल पुराने इस मंदिर में यह परंपरा तभी से शुरू हो गई थी, जो आज तक कायम है। बताते हैं कि होली पर विशेष पूजा-अर्चना से देवी मां अपने भक्तों को रोगों से मुक्ति का आशीर्वाद देती हैं। गले, चर्म, मन, हृदय, चेचक, सफेद फूल समेत कई बीमारियों से पीडि़त रोगी यदि होली के मौके पर कंठी मंदिर में पूजा-अर्चना करता है तो उसे सदा के लिए इन रोगों से छुटकारा मिलता है।
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शिवरात्रि से होली तक विशेष पूजा

कंठी माता मंदिर के पुजारी दिनेश नौटियाल का कहना है कि मंदिर परिसर में कंठी, शीतला, ललिता, फूलवती, खोखो, मसानी, चंडी, चामुंडा, भूमिया और चामंड माता की मूर्तियां हैं। वैसे तो लोग यहां रोजाना देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं, लेकिन होली पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। यह पूजा शिवरात्रि से शुरू होकर होलिका दहन वाले दिन तक चलती है। उन्होंने बताया कि जब से कंठी माता का मंदिर स्थापित हुआ है, तभी से होली पर इन देवियों की विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा है। पुजारी दिनेश नौटियाल का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि होली पर मौसम में परिवर्तन होता है। इसमें रोगों का आगमन होता है। होली पर अपनी भक्ति भावना से देवी माताओं के गुस्से को ठंडा करने और जले दिनों को शांत करने के लिए देवी माताओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस विशेष पूजा-अर्चना से देवी प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस पूजा में रोगी शामिल होते हैं तो वे भी रोगमुक्त हो जाते हैं।
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ऐसे हुई थी कंठी माता मंदिर की स्थापना

ऐसा माना जाता है कि कंठी माता मंदिर की स्थापना लोगों के रोग निवारण के लिए की गई थी। बताते हैं कि करीब 200 साल से भी पहले कई साधु हरिद्वार से लौटते हुए मेरठ के छीपी टैंक के बच्चा पार्क के इस स्थान पर रुकते थे और पूजा-अर्चना किया करते थे। वे यहां पत्थर की मूर्तियां बना देते थे। वह यहां 10-15 दिन तक रुकते थे और आगे बढ़ जाते थे। यह सिलिसिला साल-दर-साल चला। मेरठ का जैसे-जैसे विकास हुआ तो यहां मूर्तियों के छोटे-छोटे मठ बना दिए गए। इसके बाद यहां बाबा चंचल गिरि आए और वे यहीं रहने लगे। लोग बाबा से रोगों का निवारण करने के लिए आते थे और बाबा देवी माता की कृपा से उनको रोगमुक्त करते थे। जिन लोगों का छीपी टैंक क्षेत्र था, उन्होंने बाबा चंचल गिरि को यह क्षेत्र दान कर दिया। यहां पूजा-अर्चना करने आने वाले भक्तों ने इसे मंदिर का रूप देना शुरू किया। इसके बाद काफी लोग यहां आने लगे। होली पर विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा तभी से चली आ रही है। होली पर यहां यूपी ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु कंठी माता मंदिर की पूजा करने आते हैं।

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