यह भी पढ़ेंः लॉकडाउन में गर्मी अपने तेवर दिखाने को तैयार, इतने दिन में 47 डिग्री तक पहुंचेगा पारा लॉकडाउन 24 मार्च को हुआ था। मेरठ में पहला मरीज 27 मार्च को अमरावती महाराष्ट्र से शास्त्रीनगर सेक्टर 13 में अपनी ससुराल आया क्रॉकरी कारोबारी था। उसके बाद से कोरोना के मरीजों के मिलने का सिलसिला जो शुरू हुआ तो वह आज तक जारी है। जाकिर कॉलोनी का 18 वर्षीय युवक नागपुर से आया था। खरखौदा का रहने वाला 28 वर्षीय युवक रायगढ़ से आया था। इन दोनों को ही कोरोना की पुष्टि हुई थी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को दूसरे प्रदेशों से आए हुए लोगों की जांच पर भी खास फोकस करना होगा। हालांकि इन दोनों की पुष्टि भी ऐसे ही हुई कि स्वास्थ्य विभाग ने उनके लौटने के तुरंत बाद ही इनकी जांच कराई थी।
यह भी पढ़ेंः अब बाजारों और मंडियों में हाथों को सैनिटाइज करने के लिए बजेगा हूटर, नहीं किया ऐसा तो होगी कड़ी कार्रवाई जिले में पांच मई से स्थिति ज्यादा खराब हुई है। इसके बाद से अब तक 182 मरीज मिल चुके हैं। पांच मई के पहले तक शहर में सात लोगों की मौत हुई थी, लेकिन पिछले 15 दिन में ही यह आंकड़ा 21 पहुंच गया। यानी 14 मौतें इसी दौरान हुई हैं। लॉकडाउन से लेकर 41 दिन तक हर रोज करीब चार दिन के हिसाब से देखा जाए तो आंकडा हर रोज करीब 12 मरीज मिलने का हो गया है। इस समय मेरठ जनपद में संक्रमित मरीजों की संख्या 349 है। इन पर स्वास्थ्य विभाग की पड़ताल के बाद ये खुलासा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि सोशल डिस्टेंस का पालन न करने के कारण यह स्थिति बनी है। इस बारे में मेरठ मेडिकल कालेज के नोडल अधिकारी डा. वेद प्रकाश बताते हैं कि शहर में कोरोना की नई चेन बनने से हालात बिगड़े थे। लोगों को अब सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन की गंभीरता का पता चल गया है। जिससे अब हालात सामान्य हो सकते हैं।