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पहला मामला 2018 में आया सामने वेस्ट यूपी में केएलएफ की पैठ का पहला मामला 2018 में सामने आया। मेरठ से पहाड़ सिंह और परवेज उर्फ फरु व गाजियाबाद से मलूक सिंह को एनआईए ने गिरफ्तार किया। तीनों केएलएफ को हथियार सप्लाई करते थे। इन्हीं हथियारों से पंजाब में साल- 2017 व 2018 में आठ हिन्दू-सिख नेताओं की हत्या की गई थी। इसके अलावा आरएसएस के एक सक्रिय नेता की हत्या में भी ये हथियार प्रयुक्त किए गए थे। सीएम की रैली को बनाना था निशाना दूसरा मामला शामली जिले में दो अक्टूबर 2018 को सामने आया। केएलएफ आतंकियों ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री की रैली को निशाना बनाने के लिए झिंझाना थाने के पुलिसकर्मियों के हथियार लूट लिए। इसमें पांच संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी। इसी साल शामली से एटीएस ने दो हथियार सप्लायरों राज सिंह व आसिफ को गिरफ्तार किया। ये भी केएलएफ को हथियार सप्लाई करते थे। यह दोनों इंग्लैंड में छिपे आतंकी परमजीत सिंह उर्फ पम्मा से जुड़े हुए थे। इसके बाद एटीएस ने केएलएफ से जुड़ा एक और हथियार सप्लायर मेरठ से पकड़ा। अब 30 मई को मेरठ से पकड़ा गया तीरथ सिंह भी केएलएफ के लिए हथियार सप्लाई और 2020 रेफरेंडम मुहिम से जुड़ा था।
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