1. भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar): भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल मेरठ के दाएं हाथ के स्विंग गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार का नाम तब तेजी से उभरा था जब उन्होंने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को उनके प्रथम श्रेणी कॅरियर में पहली बार शून्य पर आउट किया था। यूपी की रणजी टीम में शामिल होने के बाद उन्होंने 2012 में पाकिस्तान के खिलाफ टी-20 और वनडे मैच में इंटरनेशनल क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत की। अभी तक भुवनेश्वर 21 टेस्ट में 63 विकेट, 113 वनडे में 132 विकेट और टी-20 में 40 मैच में 39 विकेट ले चुके हैं।
2. प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) : मेरठ के प्रवीण कुमार ने भी अपनी स्विंग गेंदबाजी के दम पर इंटरनेशनल क्रिकेट में काफी धूम मचायी। दाएं हाथ के स्विंग गेंदबाज ने अब क्रिकेट को अलविदा कह दिया है, अब उनकी यूपी रणजी क्रिकेट टीम के कोच बनने की चर्चा है। पुलिस कांस्टेबल के बेटे प्रवीण ने अपना पहला इंटरनेशनल मुकाबला पाकिस्तान के साथ खेला था। उन्होंने 8 टेस्ट मैचों में 27, 68 वनडे मैचों में 77 और टी-20 में आठ विकेट लिए। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा।
3. कर्ण शर्मा (Karn Sharma): दाएं हाथ के लेग ब्रेक और गुगली गेंदबाज कर्ण शर्मा ने अभी तक वैसे एक टेस्ट व दो वनडे मुकाबले खेले हैं, लेकिन उनमें हर बल्लेबाज को परेशान करने की क्षमता है। रेलवे रणजी टीम से खेलते हुए उन्होंने अब तक 69 मैच खेलकर 2050 रन बनाने के साथ-साथ 188 विकेट भी लिए हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट में भी उन्होंने एक टेस्ट में चार विकेट लिए। उन्हें टीम इंडिया में चयन का इंतजार है।
4. उमंग शर्मा (Umang Sharma): यूपी अंडर-19, अंडर-22 के बाद उमंग शर्मा का चयन यूपी रणजी ट्राफी में हुआ तो उन्होंने वहां भी अपनी बल्लेबाजी से सबका दिल जीता। 29 प्रथम श्रेणी मैचों में 1732 रन बना चुके दाएं हाथ के इस मिडिल आर्डर बैट्समैन में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने की काबिलियत है। मेरठ केे भामाशाह पार्क मैदान में उमंग ने प्रवीण कुमार व भुवनेश्वर कुमार जैसे क्रिकेटरों के साथ खेलकर उनसे काफी कुछ सीखा है। सीमित साधनों में उमंग ने अपने खेल को जिस तरह निखारा है, उससे युवा क्रिकेटरों को भी सीखने की जरूरत है।
5. प्रियम गर्ग (Priyam Garg): भामाशाह पार्क का एक ओर प्रशिक्षु प्रियम गर्ग ने भी अपनी बल्लेबाजी से यूपी क्रिकेट में अलग जगह बनाई है। यूपी अंडर-14, अंडर-16, अंडर-19 के बाद यूपी रणजी क्रिकेट टीम में स्थान पक्का किया।
दाएं हाथ के इस 18 वर्षीय बल्लेबाज ने अभी तक प्रथम श्रेणी कॅरियर में 10 मैचों में 814 रन बनाए हैं। जूनियर क्रिकेट में भी प्रियम का शानदार प्रदर्शन रहा है। प्रियम गर्ग को भविष्य का बल्लेबाज माना जा रहा है।
6. सुदीप त्यागी (Sudeep Tyagi): मेरठ कालेज के छात्र रहे दाएं हाथ के गेंदबाज को उसकी तेज गेंदबाज के तौर पर माना जाता रहा। हालांकि सुदीप का कॅरियर ज्यादा समय तक रहा, लेकिन अपनी तेज इनस्विंग गेंदबाजी के बूते सुदीप ने यूपी को कई अहम जीत दिलाई। 145 किलोमीटर प्रति घंटा की गेंद फेंकने वाले सुदीप ने चार वनडे में तीन विकेट लिए हैं, जबकि एक टी-20 मुकाबला खेला।
सुदीप हमेशा चयन प्रक्रिया का शिकार रहे और फिर क्रिकेट से अलग हो गए।यूपी रणजी टीम में खेलते हुए उन्होंने 41 मैच में 109 विकेट लिए। 7. मनु अत्री (Manu Attri): 26 वर्षीय मनु अत्री यूपी के पहले ऐसे बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलंपकि में शिरकत की। विश्व की मौजूदा डबल रैंकिंग में 32वें नंबर मनु अपने साथी बी. सुमिथ रेड्डी के साथ भारत को कई अहम जीत दिला चुके हैं। मेरठ में बैडमिंटन में अधिक सुविधाएं नहीं होने के कारण मनु अत्री ने हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद की एकेडमी में खेल की बारीकियां सीखीं। पिछले आठ वर्षों में मनु ने सुमिथ रेड्डी के साथ मिलकर भारत को यादगार जीतें दिलाई।
8. अलका तोमर (Alka Tomar): अलका तोमर ने उस समय कुश्ती शुरू की थी, जब गांव की लड़कियों को घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता था। गांव सिसौली की अलका तोमर ने न सिर्फ कुश्ती सीखी बल्कि अपने दावों से दुनिया की हर बड़ी पहलवान को चित किया। अर्जुन पुरस्कार विजेता अलका तोमर अपने कॅरियर में सिर्फ ओलंपिक मेडल को छोड़कर देश-विदेश में प्रत्येक मेडल जीता। कुश्ती से रिटायरमेंट लेने के बाद वह अब उभरती पहलवानों को कोचिंग दे रही हैं।
9. सौरभ चौधरी (Saurabh Chaudhary): मेरठ के सरूरपुर के गांव कलीना के किसान परिवार के बेटे सौरभ चौधरी ने बहुत कम समय में ही निशानेबाजी में वह कमाल कर दिखाया, जो यूपी के किसी निशानेबाज ने नहीं दिखाया था। सौरभ ने यूथ ओलंपिक गेम्स की दस मीटर एयर पिस्टल केटेगरी में स्वर्ण जीतने के साथ-साथ विश्वकप निशानेबाजी चैंपियनिशप और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
बिनौली शूटिंग रेंज के इस प्रशिक्षु निशानेबाज का अगला लक्ष्य ओलंपिक गेम्स में पदक जीतना है, इसके लिए वह उतनी ही कठिन तैयारी कर रहे हैं। 10. रवि कुमार (Ravi Kumar): मेरठ के मवाना के भैंसा गांव केे रवि कुमार उभरते निशानेबाज हैं। रवि ने बागपत में डा. राजपाल सिंह की शूटिंग रेंज से निशानेबाजी सीखी। 2014 एशियन गेम्स में रवि ने दस मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद से वह शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। 2017 में वह रिकार्ड अंकों के साथ नेशनल चैंपियन बने। 2018 में आस्ट्रेलिया में हुए कामनवेल्थ गेम्स और विश्व कप निशानेबाजी मे उन्होंने कांस्य पदक अर्जित किया। इस समय रवि कुमार दिग्गज निशानेबाज अभिनव बिंद्रा से कोचिंग ले रहे हैं।