मामला कुछ यूं रहा कि मऊ जिले के चिरैयाकोट थानाक्षेत्र के कारूबीर गांव निवासी अरविंद वनवासी कीचार साल की बेटी महिमा को गुरुवार की रात अचानक उल्टी और पेट में तेज दर्द हुआ। परिजना उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टर ने जवाब देकर रेफर करदिया। बच्ची को शहर ले जाकर निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन शुक्रवार को उसकी मौत हो गयी। परिवार वाले शव लेकर घर आस गए।
बस यहीं से शुरू हुआ मरी हुई बच्ची को जिंदा करने का खेल। अरविंद वनवासी ने कुछ सालों पहले ईसाई धर्म अपना लिया था। आरोप है कि जब उसकी बच्ची की मौत की खबर कुछ मसीहियों को मिली तो वो वहां पहुंच गए और और बच्ची को फिर से जिंदा करने का भरोसा दिलाते हुए वहां प्रार्थना शुरू कर दी। तीन दिन से चल रही प्रार्थना के बाद भी बच्ची जिंदा नहीं हुआ। इसी बीच इसकी जानकारी पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्या को हो गयी। बात संज्ञान में आते ही तत्काल स्थानीय थाने की पुलिस वहां भेजकर पुलिस की निगरानी में शव का अंतिम संस्कार कराया गया।
अंधविश्वास और धर्मांधता के इस मामले में दूसरों के कहे पर परिजन बच्ची के जिंदा हो जाने की आस में तीन दिन से प्रार्थना कर रहे थे। थानाध्यक्ष विनोद तिवारी ने किसी तरह परिजनों को समझा-बुझाकर बच्ची के शव का अंतिम संस्कार कराया। आरोप है कि जो लोग ये विशेष प्रार्थना करा रहे वो पिछले 12 सालों से धर्मांतरण करा रहे हैं।
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