यूपी के मऊ जिले में दूधिये यानि दूध बेचने वाले छोटे कारोबारी गांवों में पशुपालकों से 30 से 35 रुपये लीटर दूध खरीदते हैं। वहां से दूध जिला मुख्यालय लाते हैं और फिर इस दूध को वो 20 रूपये लीटर बेच देते हैं। सुनने वाले भी हैरान रह जाते हैं। आप सोच में पड़ गए होंगे कि दूध का यह कैसा कारोबार, जिसमें महंगी दर पर खरीदकर उससे तकरीबन आधे दाम पर बेचने पर भी जबरदस्त मुनाफा। तो सुनिये कि इस दूध के पशुपालकों के यहां से आपके घर तक पहंचने के दौरान बीच में ही मिलावट कर दिया जाता है।
दूध में क्या मिलाया जाता है यह पत्रिका के कैमरे में कैद हो गया। ये दूधिये कोई केमिकल तो नहीं मिला रहे थे पर वह सड़क के किनारे नल का पानी मिला रहे थे। इसमें साफ-सफाई का कोई खयाल नहीं रखा जा रहा था। मिलावट करने वाले दूधिये से पूछा गया तो उसका कहना था कि 20 से 25 किलोमीटर दूर से दूध बेचने आता है। अपने इलाके से वह 30 से 35 रुपये लीटर दूध खरीदता है और बेचने से पहले रास्ते में ही जमकर पानी मिला देता है।
ऐसा क्यों करते हो पूछने पर उसने क्या बताया सुनिये… दूधिये ने कहा कि यहां सबको सस्ता दूध चाहिये, अब लागत ज्यादा है तो सस्ता दूध कहां से लाएं। जब यह सवाल किया गया कि घर पर साफ और स्वच्छ पानी क्यों नहीं मिलाते तो उसने कहा… 20 से 25 किलोमीटर दूर से इतना ज्यादा दूध ढोकर लाना मुश्किल है। इसी वजह से वह रास्ते में हाइवे के किनारे ही मिलावट करते हैं। उसने कहा कि अधिकारियों की नजर इनपर नहीं पड़ती, पर इनकी नजर हमेशा अधिकारियों की आवाजाही पर रहती है।
मिलावटी दूध को लेकर जब जिले के खाद्य विभाग के अधिकारी एसके त्रिपाठी से बात की गयी तो उनका कहना था कि, इस साल कुल 58 नमूने लिये गए थे, जिसमें से41 नमूनों की जांच रिपोर्ट विभाग को मिली है, उसमें से 18 अनुमन्य नहीं पाए गए हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा लिखवाने की कार्यवाही की जा रही है। हालांकि जिस तरह से कार्यवाहियों और चेकिंग के बारे में अधिकारी ने बताया और जिस स्तर पर मिलावट की जा रही है, उसमें बड़ा अंतर है, क्योंकि इतना होने के बाद भी मिलावट बदस्तूर जारी है।
By Vijay Mishra