फल ढोने वाली दउरी जहां 150 से लेकर 200 रुपए तक की मिल रही,वहीं अर्ध्य देने वाला बांस का बना हुआ सूप 50 से 100 रुपए में बिक रहा। कुछ लोग पीतल के सूप में भी फल चढ़ाते और अर्घ्य लेते हैं।
वही साड़ियों और आभूषणों की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ देखते ही बन रही है।
आभूषण की दुकान चलाने वाले बताते हैं कि छठ महापर्व पर हल्के चांदी के गहनों की मांग बढ़ी है। महिलाएं पायल और बिछुआ ज्यादा खरीद रहीं हैं। ये गहने हल्के और सस्ते होने के साथ ही भारतीय परंपरा और संस्कृति के प्रतीक भी हैं।
इसी तरह साड़ियों की भी दुकानों पर लोगों की भीड़ लगी हुई है। छठ महापर्व पर्व पर जहां पूजावेदी पर नए वस्त्र चढ़ाए जाते हैं वहीं व्रती महिलाएं भी नए वस्त्र धारण करती हैं। नए वस्त्रों की मांग की वजह से सदियों की दुकानों पर भी खरीददारों की भीड़ उमड़ी पड़ी है।
आपको बता दें कि लोक आस्था का महापर्व 7 नवंबर को मनाया जाएगा। 7 नवंबर को जहां डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा,वहीं 8 नवंबर को उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जायेगा।