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यमुना जल को प्यूरिफाई कर तैयार की जाती है रसोईकृष्ण की पटरानी यमुना में प्रदूषण बढ़ने लगा तो ठाकुर जी की प्रतिमा को कोई खतरा न हो इस आशंका में प्रमुख मंदिरों में यमुना जल मंगाना बंद कर दिया है । पहली बारिश के बाद साफ पानी होने पर यमुना जल का उपयोग मंदिरों में होता था लेकिन कई मंदिरों में इस मौसम में भी इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। द्वारिकाधीश मंदिर, श्री कृष्ण जन्म स्थान और बांके बिहारी मंदिर ऐसे मंदिरों में शामिल हैं जो यमुना जल का उपयोग किया करते थे और आज यमुना जल का उपयोग करने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया है। बांके बिहारी मंदिर के सेवायत मयंक गोस्वामी और आशीष गोस्वामी ने बताया कि यमुना का जल सुबह रसोइया लेकर आता है और वह यमुना जल को पहले प्यूरिफाई करता है उसके बाद ठाकुर बांके बिहारी का अभिषेक किया जाता है और उनका जो प्रसाद भोग है वह प्यूरिफाई किए हुए यमुना जल से बनता है।
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अभिषेक और रसोई बनती थी यमुनाजल सेकहते हैं वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में यमुना जल के बिना कोई काम नहीं किया जाता। यहां तक कि प्रसाद और रसोई भी यमुना जल से तैयार होती थी। भगवान द्वारिकाधीश मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मस्थान के लिए रोजाना तांबे के पात्र में यमुना जल प्रातः ठाकुर जी के अभिषेक के लिए पहुंचाया जाता था। श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि पतित पावनी यमुना नदी का निर्मल जल आज इतना दूषित हो गया है। ठाकुर जी को स्नान नहीं करा सकते। सबको मिलकर यमुना को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे।