मथुरा

विश्व पर्यावरण दिवस: दीवारों पर ’स्वच्छता स्लोगन’ लिखवाने से क्या होगा जनाब?

-नगर पंचायतों के पास नहीं हैं डलाव घर-नगर से कूड़ा एकत्रित कर सड़क पर जला रहे-लाखों रूपये दीवार पोतने और स्लोगन लिखने पर कर दिये खर्च

मथुराJun 04, 2019 / 06:56 pm

अमित शर्मा

विश्व पर्यावरण दिवस: दीवारों पर ’स्वच्छता स्लोगन’ लिखवाने से क्या होगा जनाब?

मथुरा। एक ओर सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। एनजीटी प्रदूषण फैलाने वाले कारकों और इकाईयों पर कड़ी नजर रख रही है। स्वच्छता अभियान के तहत भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण के प्रभावी उपाय अमल में लाये जाएं। दूसरी ओर स्वच्छता अभियान में सरकार की मंशा के साथ कमदताल मिलाने का बहाना कर रहीं संस्थाओं की पोल खुल रही है।
जनता के पैसे को पानी की तरह बहाने वाली इन संस्थाओं को वास्तव में स्वच्छता और पर्यावरण से कोई लेना देना नहीं हैं। जनपद में कूड़ा निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। स्वच्छता के नाम पर घर घर से कूड़ा उठाने की व्यवस्था तो कर दी गई है, इसके एवज में जनता पर अलग से टैक्स भी लगा दिया गया है लेकिन इस एकत्रित कूड़े के निस्तारण की कोई प्रभावी प्रक्रिया और व्यवस्था निकायों के पास नहीं है।
World Environment Day 2019
नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में से कई नगर पंचायतें तो ऐसी हैं जिनके पास अपना कूड़ा घर तक नहीं हैं। ये नगर पंचायतें कूड़े को एकत्रित कर सड़कों के किनारे कई किलोमीटर तक की लम्बाई में फैला रही हैं। निस्तारण के लिए कूड़े के ढेर में आग लगा दी जाती है। इससे उठने वाला धुंआ सड़क पर चलने वाले राहगीरों का दम घुटता है। साथ ही सड़क किनारे खड़े पेड़ भी इस आग की चपेट में आकर जल जाते हैं। इससे स्वच्छता की जगह लापरवाही का विद्रूप रूप देखने को मिला रहा है।
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नगर पंचायतों के पास नहीं हैं कूड़ा घर
जनपद की राया जैसी बड़ी नगर पंचायत के पास अपना कोई कूड़ा घर नहीं है, महावन, गोकुल, चौमुहां आदि ऐसी ही नगर पंचायतें हैं जिनके पास अपना कोई कूड़ा घर नहीं है। नगर पंचायतों की जनसंख्या धीरे धीरे बढ़ रही है। बाजारों का स्वरूप भी बदल रहा है ऐसे में नगर पंचायतों से निकलने वाले कूड़े की मात्रा भी अधिक है, लेकिन इसके निस्तारण की नगर पंचायतों के पास कोई व्यवस्था नहीं है।

सड़क किनारे कई किलोमीटर तक बना दिया कूड़ा घर
राया नगर पंचायत ने राया मथुरा रोड पर सूरज फाटक से आगे करीब एक से डेढ़ किलोमीटर की लम्बाई में इस बेहद व्यस्त और महत्वपूर्ण राजकीय राजमार्ग के किनारे किनारे कूड़ा घर बना दिया है। हकीकत यह है कि नगर पंचायत के पास कोई कूड़ा घर नहीं है और वह कूड़े को राया नगर से निकाल कर सड़क के किनारे डाल रहे हैं।

खेतों में उड़ कर फैल रहीं हैं पॉलीथिन, किसान परेशान
नगर पंचायत के कूड़े में पॉलीथिन और थर्माकोल की मात्रा बहुतायत में है। इस कूड़े से उड़कर पॉलीथिन सड़क किनारे के खेतों में फैल रही हैं। खेतों की हालत बेहद खराब हो गई हैं। किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है और खेतों की मिट्टी में पॉलीथिन की मात्रा इतनी ज्यादा होती जा रही है कि फसलों पर भी इसका असर पड़ रहा है।

रोज निकलते हैं इस सड़क से आलाधिकारी, नहीं पड़ती नजर
बरेली भरतपुर राजमार्ग पर रोजाना आलाधिकारी और जनप्रतिनिधि निकलते हैं। यमुना एक्सप्रेस वे का राया कट भी इसी के पास है। इसके बाद भी अधिकारियों और जनप्रतिनिधि इन कूड़े के ढेरों, इन में लगी आग, खेतों में उड़ती पॉलीथिन और इससे उठते धुंए के गुबार को नजर अंदाज कर चले जाते हैं।

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