मथुरा. वृंदावन में कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक मेले का शुभारंभ हो चुका है। यमुना किनारे बने देवराहा बाबा घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने बुधवार को आस्था की डुबकी लगाई। यहां घाट पर साफ-सफाई के साथ श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। यहां आए श्रद्धालु भी व्यवस्था देखकर काफी खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि इस बार वैष्णव कुंभ में लोगों की सुरक्षा से लेकर तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं। श्रद्धालुओं ने बताया कुंभ में स्नान के बाद अलग ही तरह की आत्मिक शांति मिलती है।
यह भी पढ़ें- खुशखबर! यूपी में बढ़ गई है विशेष वरासत अभियान की तारीख, आपका भी है कोई मामला तो आज ही करें संपर्क गौरतलब हो कि यमुना तट पर 12 बरस में एक बार बसंत पंचमी से वैष्णव कुंभ का आयोजन होता है। मान्यता है कि राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि वृंदावन आकर रसिक भाव से वैष्णव मत के साधु-संन्यासी अपने अराध्य की पूजा करते हैं। बसंत पंचमी को धार्मिक अनुष्ठान के साथ यमुना किनारे ध्वजारोहण का कार्यक्रम हुआ, जिसमें तीनों अखाड़ों ने अपनी-अपनी ध्वज पताका फहराई। ध्वजारोहण में निर्वाणी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास, दिगंबर अखाड़ा के श्रीमहंत कृष्णदास, निर्मोही अखाड़ा के श्रीमहंत राजेंद्रदास के साथ ही अन्य साधु संत भी मौजूद रहे। ध्वजारोहण के साथ ही मंगलवार को यमुना किनारे वैष्णव कुंभ की शुरुआत हुई। अब इस वैष्णव कुंभ का आयोजन 28 मार्च तक किया जाएगा। यहां बता दें कि वृंदावन में आयोजित वैष्णव कुंभ में शैव (नागा) संन्यासी नहीं आते हैं।
वैष्णव कुंभ की परंपरा बता दें कि वृंदावन वैष्णव कुंभ को लेकर कोई सटीक प्रमाण तो नहीं हैं। लेकिन, मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तो उसमें से निकले अमृत कलश को लेकर भगवान गरुड़ निकले थे। भगवान गरुड़ अमृत कलश लेकर जब वृंदावन पहुंचे तो उन्होंने यमुना किनारे कदंब के पेड़ पर अमृत कलश रख विश्राम किया। विश्राम करने के बाद भगवान गरुड़ अमृत कलश को लेकर नासिक, उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार गए। वृंदावन में भगवान गरुड़ के विश्राम करने के बाद यहां वैष्णव कुंभ की परंपरा शुरू हुई।