कान्हा की नगरी में कण-कण में भगवान बसते हैं। यहां के तमाम स्थानों पर भगवान श्रीकष्ण ने अपनी लीलाएं की हैं। उन्हीं में से एक किस्सा महाविद्या कुंड से भी जुड़ा है। महाविद्या कुंड की मान्यता को लेकर स्थानीय अशोक चौधरी बताते हैं कि जब मथुरा में जब कंस के अत्याचार अधिक बढ़ गए थे, तब ब्रजवासियों को कंस के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए भगवान श्रीकृष्ण यहां आए और उन्होंने कंस का वध कर उसे मोक्ष प्राप्ति दी। इसके बाद वे महाविद्या कुंड में स्नान करने आए थे। महाविद्या कुंड मथुरा का काफी प्राचीन कुंड है। पहले इसे देवकी कुंड कहा जाता था, लेकिन अब महाविद्या कुंड कहलाता है। अशोक चौधरी बताते हैं कि पहले इस कुंड का जल एकदम स्वच्छ व निर्मल हुआ करता था। लेकिन अब ये बदहाली से जूझ रहा है। अशोक चौधरी का कहना है कि ये कुंड ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा और मथुरा की पंचकोसीय परिक्रमा के दौरान पड़ता है। पहले जब ये कुंड अच्छी हालत में था, तब परिक्रमार्थी यहां आकर अपनी थकान मिटाते थे। इसका जल ग्रहण करते थे। लेकिन अब ये सूखकर बच्चों के खेलने का मैदान बन गया है। जिला प्रशासन की ओर से इसको सहेजने का कोई प्रयास नहीं किया जाता।