बता दें कि इससे पहले तीन बार मथुरा में सपना चैधरी के कार्यक्रम तय हुए और तीनों बार आयोजकों को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। एक बार तो सपना चौधरी कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए मथुरा में आ भी गईं लेकिन एनमौके पर उन्हें वापस जाना पड़ा। हर बार जिला प्रशासन की यही दलील होती थी कि कानून व्यवस्था बनाने में मुश्किल आएगी। जिला प्रशासन की दलीलों को सहारा देने के लिए भाजपा के संगठन सक्रिय हो जाते थे। महिला संगठन जिला प्रशासन को सपना के कार्यक्रम को रद्द करने के लिए लगातार ज्ञापन देकर प्रदर्शन करते थे। इसके पीछे सपना के कार्यक्रम को ब्रज संस्कृति के अनुकूल नहीं होने और अश्लील होने की दलीलीं दी जाती थीं।
यह सब तब तक जारी रहा जब तक कि सपना विधवतरूप से भाजपा में शामिल नहीं हो गईं। इससे पहले उनकी नजदीकियां कांग्रेस के साथ थीं। विगत लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी के खिलाफ सपना चौधरी के चुनाव लड़ने की चर्चाएं भी खूब रही थीं। हालांकि खुद सपना चौधरी की तरफ से कभी इस तरह का कोई बयान नहीं आया था, लेकिन कांग्रेस की ओर से मथुरा लोकसभा सीट पर प्रत्याशी की घोषणा में देरी की वजह सपना चौधरी को ही माना गया था। हालांकि लोकसभा चुनाव के बीच ही सपना भाजपा के करीब आ गईं थीं, इसके बाद भी उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं की थी। सपना ने भाजपा की सदस्यता नहीं ली तो उनका कार्यक्रम भी मथुरा में नहीं हो सका। सात जुलाई को दिल्ली में भाजपा की विधवत सदस्यता ग्रहण करने के कुछ घंटे बाद ही सपना मथुरा में स्टेज पर उतरीं और अपना कार्यक्रम कर सकीं। लोगों में चर्चा इस बात की भी है कि सपना शायद सपना चौधरी भी मथुरा में कार्यक्रम करना चाहती थीं। यही वजह रही कि सपना चैधरी ने भाजपा की सदस्यता लेने के कुछ देर बाद ही मथुरा में आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुति दी।