मथुरा

मथुरा में संतों की महापंचायत, ठाकुर देवकीनंदन ने की एकजुट होने की अपील

Saint Meeting in Mathura: मथुरा के वृंदावन में साधु संत और धर्माचार्यों की एक बैठक हुई। इस दौरान सनातन बोर्ड के गठन की मांग रखी गई, जिसको देखते हुए दिल्ली में सनातन संत संसद का आयोजन किया जा रहा है।

मथुराNov 04, 2024 / 08:51 am

Sanjana Singh

Thakur Devkinandan

Saint Meeting in Mathura: उत्तर प्रदेश के मथुरा में सनातन धर्म संसद की बैठक हुई जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंचे। यह बैठक ठाकुर देवकीनंदन के नेतृत्व में हुई। मौजूद सदस्यों से 16 नवंबर को दिल्ली में होने वाली विशाल सनातन धर्म संसद में पहुंचने की भी अपील की गई।
ठाकुर देवकीनंदन ने बैठक के बारे में पत्रकारों से कहा, “हमें एकजुट होकर अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। कृष्ण जन्मभूमि, सनातन बोर्ड का निर्माण, और तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसादम में जानवरों की चर्बी मिलाने की घटनाओं को लेकर हमें सख्त कदम उठाने की जरूरत है।”

‘कृष्ण जन्मभूमि को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी’

मथुरा की बैठक में उन्होंने कहा, “कृष्ण जन्मभूमि हमारे लिए एक पवित्र स्थल है। इसे सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। इस संदर्भ में हमें एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी होगी। हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस भूमि की पवित्रता को बनाए रखा जाए।”
उन्होंने कहा, “सनातन धर्म के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक स्थायी बोर्ड का निर्माण आवश्यक है। यह बोर्ड हमारी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मूल्यों की रक्षा करेगा। हमें एकजुट होकर सरकार से मांग करनी चाहिए कि वह इस दिशा में ठोस कदम उठाए।”
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‘तिरुपति बालाजी मंदिर की घटना धार्मिक विश्वासों के खिलाफ’

उन्होंने आगे कहा, “तिरुपति बालाजी मंदिर की घटना ने हमें चिंतित किया है। यह न केवल हमारे धार्मिक विश्वासों के खिलाफ है, बल्कि हमारे समाज के नैतिक मूल्यों पर भी प्रश्न उठाती है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।”
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16 नवंबर को होगी सनातन धर्म संसद

उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर खड़े हों। आगामी 16 नवंबर को होने वाली सनातन धर्म संसद एक महत्वपूर्ण अवसर है। हमें बड़ी संख्या में एकत्रित होना चाहिए। मैं चाहूंगा कि कम से कम 25 लाख लोग एक साथ आएं और अपनी आवाज उठाएं। अनेक संत, जिनके पास वर्षों का अनुभव है, इस विषय पर चिंतित हैं। वृंदावन के साधु-संत भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि हम अपनी धर्म और संस्कृति को कैसे बचाएं। हमें उनके मार्गदर्शन का पालन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।”

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