मथुरा से करीब 40 किलोमीटर दूर तहसील मांट में भांडीरवन है। यही वह स्थान है, जहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा का विवाह हुआ था। पत्रिका टीम ने जब भांडीरवन पहुंचकर राधा कृष्ण के विवाह के साक्ष्यों को खोजा। साक्ष्य मौजूद हैं। उन्हें देखकर हम भी चौंक गए। भांडीरवन मंदिर के पुजारी गोपाल बाबा ने भगवान श्री कृष्ण और राधा के विवाह के बारे में पत्रिका से बात करते हुए कहा- जब राधा और कृष्ण बाल्यावस्था में थे, तो उनका विवाह संपन्न हुआ । भगवान श्रीकृष्ण और राधा के विवाह के प्रमाणस्वरूप मंदिर देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
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नारद मुनि ने किया था कन्यादान
मंदिर के पुजारी गोपाल बाबा का यह भी कहना है कि जब राधा और कृष्ण का विवाह हुआ था तो केवल 4 लोग इस विवाह में मौजूद थे। नारद मुनि ने राधा का कन्यादान किया था। जिस दिन राधा और कृष्ण की शादी हुई, उस दिन घनघोर बादल छाए हुए थे।र ब्रह्मा जी ने पंडित बनकर इनकी शादी कराई थी। ब्रह्मा जी ने ही शादी के मंत्र पढ़े थे। इस शादी का लेख गर्ग संहिता में पढ़ने को मिल जाएगा।
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कृष्ण के हाथ में बंसी की जगह सिन्दूरगोपाल बाबा ने कहानी को आगे बढ़ाते हुए बताया कि जब राधा और कृष्ण की शादी हुई थी, तो भगवान श्री कृष्ण, राधा से छोटे थे। उन्होंने अपने दोनों पैरों के पंजों पर खड़े होकर राधा की मांग भरी थी। इस मंदिर की खास बात यह है की यहां भगवान श्री कृष्ण के हाथ में बंसी की जगह सिंदूर लगा हुआ है और वह राधा की मांग भरते दिखाई दे रहे हैं।
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आज भी मौजूद है मंडपगोपाल बाबा ने यह भी बताया कि जिस मंडप में भगवान श्री कृष्ण और राधा के फेरे हुए थे, वह मंडप आज भी मौजूद है। यह मंडप वटवृक्ष के पेड़ों से बना हुआ है। एक तरफ राधा दिखाई देती हैं और दूसरी तरफ भगवान श्री कृष्ण दिखाई देते हैं।