यह भी पढ़े – अयोध्या में पहली बार सात देशों की रामलीलीओं का होगा मंचन, गूंज उठेंगे ‘जय श्रीराम’ के जयकारे प्लांट में 14 लोग कर रहे दिन और रात की मेहनत प्लांट मैनेजर ने बताया कि इस प्लांट में 14 लोग कार्यरत हैं, जो की दिन और रात दो शिफ्टों में कार्य करते हैं। प्लास्टिक से प्लांट में लोडन सिटी ऑयल और हाई डेंसिटी ऑयल तैयार किया जाता है। वहीं प्लांट से निकलने वाले ऑयल को हम ट्रैक्टर, जनरेटर, इंजन के काम में लिया जाता है। उन्होंने बताया कि कि 100% में से 30% ऑयल, 30% वैक्स, 30% कार्बन और 10% गैस प्राप्त होती है। वैक्स आग जलाने के लिए काम आती है।
यह भी पढ़े – UP: चित्रकूट के रानीपुर टाइगर रिजर्व में मिलेगा बाघ-तेंदुओं संग सैर का मौका 36 घंटे में बनता है डीजल, पेट्रोल और कार्बन प्लांट मैनेजर ने बताया कि डीजल-पेट्रोल 60 से 70 रुपये प्रति लीटर बेचा जाता है। इससे 36 घंटे में 900 लीटर ईंधन प्राप्त होता है। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 के दो साल प्लांट को बंद करना पड़ा था। प्लांट पुनः अगस्त 2021 में शुरू किया गया। ये थर्मोकेमिकल डी पॉलीमराइजेशन पर काम करता है। नेफ्ता से प्लास्टिक बनता है। 350-650 डिग्री हिट देनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि 6 टन प्लास्टिक वेस्ट एक बार में प्लांट सेल का डाला जाता है, जिससे डीजल, पेट्रोल और कार्बन गैस बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है।