मथुरा

अच्छी पहलः मथुरा में प्लास्टिक वेस्ट से 36 घंटे में बनाया जा रहा पेट्रोल-डीजल और कार्बन

मथुरा में पेटरसन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। इस प्रोजेक्ट के तहत महज 36 घंटों में फैक्टरियों और घरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को पिघलाकर पेट्रोल-डीजल और कार्बन बनाई जा रही है।

मथुराSep 15, 2022 / 04:55 pm

Jyoti Singh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन के तहत मथुरा में पेटरसन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। इस प्रोजेक्ट के तहत फैक्टरियों और घरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को पिघलाकर पेट्रोल-डीजल और कार्बन बनाई जा रही है। प्रोजेक्ट के तहत वातावरण को तो साफ़-स्वच्छ रखा जा रहा है। वहीं आने वाली प्लास्टिक की समस्याओं से भी निजात इस प्रोजेक्ट के तहत ही मिल रही है। पेटरसन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्लांट मैनेजर लव कुमार से प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी की गई। लव कुमार ने बताया कि 2019 में प्लांट का उद्घाटन सांसद हेमा मालिनी और पूर्व ऊर्जा मंत्री के द्वारा किया गया था। 4 करोड़ की लागत से इस प्लांट को तैयार कराया गया था।
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प्लांट में 14 लोग कर रहे दिन और रात की मेहनत

प्लांट मैनेजर ने बताया कि इस प्लांट में 14 लोग कार्यरत हैं, जो की दिन और रात दो शिफ्टों में कार्य करते हैं। प्लास्टिक से प्लांट में लोडन सिटी ऑयल और हाई डेंसिटी ऑयल तैयार किया जाता है। वहीं प्लांट से निकलने वाले ऑयल को हम ट्रैक्टर, जनरेटर, इंजन के काम में लिया जाता है। उन्होंने बताया कि कि 100% में से 30% ऑयल, 30% वैक्स, 30% कार्बन और 10% गैस प्राप्त होती है। वैक्स आग जलाने के लिए काम आती है।
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36 घंटे में बनता है डीजल, पेट्रोल और कार्बन

प्लांट मैनेजर ने बताया कि डीजल-पेट्रोल 60 से 70 रुपये प्रति लीटर बेचा जाता है। इससे 36 घंटे में 900 लीटर ईंधन प्राप्त होता है। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 के दो साल प्लांट को बंद करना पड़ा था। प्लांट पुनः अगस्त 2021 में शुरू किया गया। ये थर्मोकेमिकल डी पॉलीमराइजेशन पर काम करता है। नेफ्ता से प्लास्टिक बनता है। 350-650 डिग्री हिट देनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि 6 टन प्लास्टिक वेस्ट एक बार में प्लांट सेल का डाला जाता है, जिससे डीजल, पेट्रोल और कार्बन गैस बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

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