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आठ साल की आयु से चित्र बना रहे प्रेम चौधऱी का बचपन से ही चित्रकारी के प्रति गहरा लगाव था। मात्र आठ वर्ष की आयु में ही पेन्सिल हाथ में थाम ली। पेंसिल से चित्र बनाने लगे थे। अपने बड़े भाई जयप्रकाश की चित्रकारी को देखकर प्रभावित हुए। इसके बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई। वैसे-वैसे ही चित्रकारी भी निखरती गई। अब प्रेम चौधरी सफलता के सोपान पर है।
आठ साल की आयु से चित्र बना रहे प्रेम चौधऱी का बचपन से ही चित्रकारी के प्रति गहरा लगाव था। मात्र आठ वर्ष की आयु में ही पेन्सिल हाथ में थाम ली। पेंसिल से चित्र बनाने लगे थे। अपने बड़े भाई जयप्रकाश की चित्रकारी को देखकर प्रभावित हुए। इसके बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई। वैसे-वैसे ही चित्रकारी भी निखरती गई। अब प्रेम चौधरी सफलता के सोपान पर है।
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विनोद गोस्वामी की सलाह प्रेम चौधरी को चित्रकारी का तो शौक था, लेकिन मथुरा में कोई प्रशिक्षण देने वाला नहीं था। यहां कोई कॉलेज ही नहीं है। लोग हतोत्साहित करते थे। कहते थे कि चित्रकार बनने से क्या होगा? कहीं नौकरी नहीं मिलेगी, भूखों मरोगे। इसके बाद भी प्रेम चौधरी पर चित्रकारी का जुनून सवार था। उसने किसी की नहीं सुनी। बस अपने मन की सुनी। लक्ष्य बना लिया कि चित्रकार बनकर बृज का नाम रोशन करना है। 2012 में नन्दगाँव के श्रीकृष्ण चेतन इण्टर कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय से इण्टरमीडिएट करने के बाद मुलाकात हुई आर्टिस्ट विनोद गोस्वामी से। उन्होंने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट की जानकारी दी। सलाह दी कि यहां से पेंन्टिग का चार वर्षीय डिग्री कोर्स करो।
विनोद गोस्वामी की सलाह प्रेम चौधरी को चित्रकारी का तो शौक था, लेकिन मथुरा में कोई प्रशिक्षण देने वाला नहीं था। यहां कोई कॉलेज ही नहीं है। लोग हतोत्साहित करते थे। कहते थे कि चित्रकार बनने से क्या होगा? कहीं नौकरी नहीं मिलेगी, भूखों मरोगे। इसके बाद भी प्रेम चौधरी पर चित्रकारी का जुनून सवार था। उसने किसी की नहीं सुनी। बस अपने मन की सुनी। लक्ष्य बना लिया कि चित्रकार बनकर बृज का नाम रोशन करना है। 2012 में नन्दगाँव के श्रीकृष्ण चेतन इण्टर कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय से इण्टरमीडिएट करने के बाद मुलाकात हुई आर्टिस्ट विनोद गोस्वामी से। उन्होंने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट की जानकारी दी। सलाह दी कि यहां से पेंन्टिग का चार वर्षीय डिग्री कोर्स करो।
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कॉलेज ऑफ आर्ट, दिल्ली में प्रवेश की कहानी धुन के पक्के प्रेम चौधरी पहुंच गए कॉलेज ऑफ आर्ट, दिल्ली। वे कॉलेज के छात्रों से मिले। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बहुत बड़ा कॉम्पटीशन है। हम लोग लगातार कॉलेज ऑफ आर्ट में दो- तीन साल से टेस्ट दे रहे हैं, लेकिन हमारा नम्बर नहीं आ रहा है। तुम तो फिर भी बिना कोचिंग के देहाती हो। ये बात सुनकर प्रेम चौधऱी सहम गए। फिर भी हिम्मत नहीं हारी। फॉर्म भर दिया। घर पर ही तैयारी की और पहली बार में ही कॉलेज ऑफ आर्ट में नम्बर आ गया।
कॉलेज ऑफ आर्ट, दिल्ली में प्रवेश की कहानी धुन के पक्के प्रेम चौधरी पहुंच गए कॉलेज ऑफ आर्ट, दिल्ली। वे कॉलेज के छात्रों से मिले। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बहुत बड़ा कॉम्पटीशन है। हम लोग लगातार कॉलेज ऑफ आर्ट में दो- तीन साल से टेस्ट दे रहे हैं, लेकिन हमारा नम्बर नहीं आ रहा है। तुम तो फिर भी बिना कोचिंग के देहाती हो। ये बात सुनकर प्रेम चौधऱी सहम गए। फिर भी हिम्मत नहीं हारी। फॉर्म भर दिया। घर पर ही तैयारी की और पहली बार में ही कॉलेज ऑफ आर्ट में नम्बर आ गया।
यह भी पढ़ें इस बीजेपी विधायक पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला अनिश्चितकालीन धरने पर, दी आत्मदाह की धमकी रात में वॉल पेंटिंग, दिन में पढ़ाई प्रेम चौधरी बताते हैं- इसके बाद मेरे सामने काफी समस्याएं आईं। ट्रेन से रोज का आना जाना पड़ता था। पैसे की दिक्कत थी। मैं कहां रुकने वाला था। रात को वॉल पेंन्टिग का काम करता। दिन में पढ़ाई। कभी रेलवे स्टेशन पर भूखा प्यासा सोया तो कभी क्लास रूम में चुपके से रात को रुक जाया करता था। मैं पेन्टिग के साथ-साथ राइटिंग के क्षेत्र में भी काफी मेहनत कर रहा था। कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद मैंने पेन्टिग और राइटिंग क्षेत्र में शुरुआत की।
यह भी पढ़ें ‘हींग की मंडी’ में आ सकता है भयंकर तूफान, अलर्ट जारी, घर में रखें कुल्हाड़ी मिले अवॉर्ड सन् 2018 में मथुरा के National Museum में National Exhibition लगाई। इसके बाद तो National से Internation तक पहुँचा। अवॉर्ड भी मिले। 2016 में मथुरा की जीएलए यूनिवर्सिटी का फाइन आर्ट विनर अवॉर्ड जीता। 2018 में मेरी पेन्टिग लन्दन के द नेहरू सेंटर मेफेयर में 7 मई से 10 मई तक प्रदर्शित की जा रही हैं।
बॉलीवुड फिल्म के लिए स्क्रिप्ट बना रहे उन्होंने बताया कि 2017 में फिल्म स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन की सदस्यता मिली। अब मैं एक बॉलीवुड फिल्म के लिए स्क्रिप्ट पर कार्य कर रहा हूँ। जल्द ही इस फिल्म पर कार्य शुरू हो जाएगा। इसके अलावा फिल्म इंडिया डायरेक्टरी में बड़े लेखकों के साथ नाम प्रकाशित हुआ है। मुझे खुशी इस बात की है कि कल तक जो लोग मेरी आलोचना करते थे, आज वही लोग मुझ पर गर्व महसूस करते हैं। मैं राइटिंग और पेन्टिग दोनों कलाआ में महारथ हासिल करना चाहता हूं। मेरी कामयाबी के पीछे मेरे बड़े भाई सूरज चैधरी का हाथ है।