ब्रज की गलियों में पोशाक और मुकुट श्रृंगार का कारोबार फैला हुआ है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन सहित अन्य कस्बों और गांवों में एक हजार से अधिक कारखानों में ठाकुरजी की पोशाक बनाने का काम चलता है। मथुरा और वृंदावन में अधिकांश मुस्लिम समाज के लोग ठाकुरजी की पोशाक बनाते हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण व्यापार पर असर पड़ा है। बाजार में भीड़ है। जनपद में कुछ ही कारखाने पोशाक तैयार कर रहे हैं।
कोरोना के कारण नहीं आया माल मथुरा में श्रीकृष्ण की पोशाक तैयार कर रहे कारोबारी आसिफ कहते हैं कि वे यहां काफी समय से पोशाक तैयार कर रहे हैं। श्रीकृष्ण के लिए तैयार किए जाने वाले मुकुट में जरी, मोती, नग और खासतौर से शीशे का काम किया जाता है। जर्किन, शीशे वाला मुकुट ज्यादा खूबसूरत होता है। शीशे का नग दिल्ली और मुंबई के बाजारों से खरीदा जाता है। कोरोना के कारण इस बार न दिल्ली से माल आया और न मुंबई से सामान आ सका है।
बेजोड़ कारीगरी के मुरीद वहीं दूसरे पोशाक व्यापारी आबिद ने कहा कि पोशाकों को बनाने का काम जहां हिंदू करते हैं वहीं 60 प्रतिशत मुस्लिम कारीगर बेजोड़ कारीगरी करके इन पोशाकों को तैयार करते हैं। श्रद्धालु भी यहां की बेजोड़ कारीगरी के मुरीद बन गए हैं। पहले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से छह माह पूर्व काम शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार काम अब शुरू किया है। कोरोना महामारी ने व्यापार पर नकारात्मक असर डाला है।