सती के श्राप के रूप में देखा जाता है ये दिन
मथुरा के सुरीर गांव में इस दिन को सती के श्राप के रूप में देखा जाता है। इस दिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं। कहा जाता है कि अगर कोई विवाहिता इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश करेगी तो उसके साथ अनहोनी होने का डर होगा। इस कारण से मोहल्ले में कई परिवार करवा चौथ का त्योहार नहीं मनाते हैं।
200 साल पुरानी घटना से सहम जाते हैं लोग
इससे एक घटना जुड़ी है जो तकरीबन 200 साल पहले हुई थी। गांव के एक ब्राह्मण युवक की पत्नी के सामने उसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद पत्नी ने श्राप दिया और सती हो गई। धीरे धीरे मोहल्ले में शोक और डर का माहौल बन गया और कई परिवारों में विधवाओं की संख्या बढ़ने लगी।अब बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मानते हुए गांव में एक मंदिर का बनवाया और सती की पूजा करने लगे।
…और बंद हो गई करवा चौथ की पूजा
मंदिर में सती की पूजा होने लगी तो इसके जरिए कुछ राहत मिली। अब इस घटना के बाद करवा चौथ और अहोई अष्टमी जैसे त्योहारों पर रोक लग गई। इसी के बाद से महिलाएं इन त्योहारों से परहेज करने लगीं। गांव की महिलाएं बताती हैं कि उन्होंने अपने परिवार में कभी किसी को करवा चौथ का व्रत करते नहीं देखा।