मथुरा

जिस कुंड में 10 हजार लोग कर रहे नियम सेवा, उसका जल आचमन लायक भी नहीं…जानिए क्या कहती है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट

-मान्यताओं की बेड़ियों में जकड़े श्रद्धालु हो रहे बीमार।-लगातार हादसों के बाद आचमन और स्नान से कतरा रहे। -प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट में भी राधाकुंड का पानी प्रदूषित।

मथुराOct 31, 2019 / 10:50 am

suchita mishra

Radha Kund

मथुरा। प्रदूषण के प्रभाव से अब ब्रज की परंपराएं भी प्रभावित होने लगी हैं। मान्यताओं के बेड़ियों में बंधे श्रद्धालु अब इसके दुष्प्रभाव के शिकार हो रहे हैं। इसका खुलासा तब हुआ, जब उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल प्रदूषण को लेकर अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी। इस रिपोर्ट में गोवर्धन स्थित राधाकुंड व श्यामकुंड के जल को आचमन योग्य भी नहीं बताया गया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब ब्रज दर्शन को आने वाले श्रद्धालु मान्यताओं, परंपराओं और तमाम धार्मिक दृष्टातों को दरकिनार कर ब्रज की नदी और कुण्डों में आचमन से मुंह मोड़ रहे हैं।
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट
गोवर्धन के राधाकुंड व श्याम कुंड के प्रदूषित जल की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को दे चुका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों कुंडों में प्रदूषण की मात्रा अत्याधिक है। घुलित ऑक्सीजन यहां मानक से बहुत कम पाई गई है। वहीं प्रदूषण के रूप में बीओडी 10 मिली ग्राम प्रतिलीटर तक है। इस स्थिति में जल को पीने योग्य तो क्या, आचमन के लायक भी नहीं माना जा सकता है। माना जा रहा है कि गिरिराज परिक्रमा मार्ग स्थित राधाकुंड श्याम कुंड में प्रदूषण का मुख्य कारण यहां आसपास की आबादी है। घर और आश्रम से निकलने वाले सीवर और नालों का पानी सीधे श्यामकुंड और राधाकुंड में गिरता है।
10 हजार श्रद्धालु कर रहे कार्तिक माह में नियम सेवा
मणिपुर और पश्चिमी बंगाल के करीब 10 हजार श्रद्धालु कार्तिक माह में नियम सेवा के लिए आते हैं। वह यहीं रहकर रोजाना राधाकुंड में स्नान और आचमन करते हैं। 25 अक्टूबर से राधाकुंड के जल के सेवन से श्रद्धालु बीमार हो रहे थे। यह श्रद्धालु उल्टी, दस्त और पेट दर्द के शिकार थे। राधाकुंड के चिकित्सक डॉक्टर भगवत गोस्वामी ने बताया कि पिछले करीब चार पांच दिन से रोजाना सात-आठ डायरिया पीड़ित श्रद्धालु आ रहे थे। आज इनकी संख्या में एकाएक बढ़ोतरी हो गई है। एसडीएम राहुल यादव के अनुसार नायब तहसीलदार सतीश चंद बघेल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी रूपेश सिंह राधाकुंड पहुंच गए हैं। जो लोग बीमार हैं, उनका उपचार कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबर से अब तक करीब सात दर्जन श्रद्धालु बीमार हुए हैं। इससे पहले राधारानी ब्रजयात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु बीमार हुए थे। इन दोनों घटनाओं से प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है।
श्रद्धालुओं से छुपाई जा रही प्रदूषण की हकीकत
यहां के पण्डा, पुजारी, पुरोहित और धर्म के ठेकेदार अब भी श्रद्धालुओं को इस बात के लिए विवश कर रहे हैं कि वे आचमन करें, स्नान करें और परंपरागत पूजा अर्चना को ही निभाते रहें। जबकि कुण्डों, पवित्र तालाबों और नदियों का पानी इस योग्य नहीं रह गया है। कार्तिक माह में नियम सेवा के लिए मणिपुर और पश्चिम बंगाल के श्रद्धालु राधाकुंड के जल के आचमन लेने से डायरिया के शिकार हो गए। हालांकि पिछले पांच दिन से करीब सात-आठ श्रद्धालु रोजाना बीमारी की चपेट में आ रहे थे। मंगलवार को इन रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और कुल रोगियों की संख्या करीब सात दर्जन तक पहुंच गई। इसके बाद भी अपने लाभ के लिए श्रद्धालुओं से सच्चाई छुपाई जा रही है और उनके जीवन को खतरे में डाला जा रहा है।

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