ये कैसे स्मार्ट विद्युत मीटर, लगते ही बिजली का बिल हुआ दो गुना, उपभोक्ताओ पर आफत
-75 करोड़ की लागत से लगाये जा रहे 1.25 लाख स्मार्ट मीटर-स्मार्ट मीटर की कीमत 6 हजार, अधिकतम आयु 5 साल-एक साल में तीसरी बार बदले जा रहे हैं बिजली मीटर-मीटर बदलने के बाद बढ़ा बिल, व्यापारियों ने किया विरोध
ये कैसे स्मार्ट विद्युत मीटर, लगते ही बिजली का बिल हुआ दो गुना, उपभोक्ताओ पर आफत
मथुरा। शहर में 75 करोड़ रुपये की कीमत के लगाये जा रहे 1.25 लाख स्मार्ट मीटरों के जिम्मे 75 करोड की उगाही भी है। यही वजह है कि कान्हा की नगरी में विद्युत विभाग की हाइप्रोफाइल मीटर ठोको योजना से उपभोक्ता कराह उठा है। स्मार्ट मीटर ने दीवार पर टंगते ही इस टारगेट को पूरा करना शुरू कर दिया है। स्मार्ट मीटर की वसूली की जो रफ्तार है, उसने भीषण गर्मी में भी लोगों की कंपकंपी छुडा दी है। ये बात हम नहीं कह रहे, यह स्मार्ट मीटर की कहानी और उपभोक्ता की जुबानी खुद बयां हो रही है।
मथुरा को चुना है पायलट प्रोजेक्ट के तहत
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने मथुरा शहर को स्मार्ट मीटर लगाने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना है। मथुरा, लखनऊ सहित उन एक दो शहरों में शामिल ,है जहां स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं। पूरे प्रदेश में मथुरा जितनी कम आबादी वाला दूसरा कोई शहर नहीं है, जिसमें स्मार्ट मीटर लगाने का प्रयोग किया गया हो। यहां तक कि मथुरा के आसपास के आगरा, अलीगढ जैसे बड़े शहरों में भी स्मार्ट मीटर नहीं लगाये गये हैं। लोगों के जेहन में यह बात बार बार कौंध रही है कि मथुरा को ही इस जानलेवा प्रोजेक्ट के लिए क्यों चुना गया है।
उपभोक्ताओं को दर्द
उपभोक्ताओं में इस योजना का खौफ इस कदर बैठ गया है कि घर के टीवी, बल्व तक बंद कर दिये हैं। लोग बिजली का उपयोग लगातार कम कर रहे हैं लेकिन बिल है कि हर महीने बढ़कर आ रहा है। आर्य समाज रोड पर दुकान कर रहे उपभोक्ता गिरीश कुमार ने बताया कि हमारे घर का बिल साढ़े पांच सौ रुपये महीने आता था लेकिन स्मार्ट मीटर लगने के बाद 11 सौ का आया है। व्यापारी नारायण दास यहां बिल तीन से साढे तीन हजार रुपये का आता था, स्मार्ट मीटर लगने के बाद यह साढ़े सात हजार रुपये आया है। दूसरे उपभोक्ताओं का भी यही हाल है।
पांच साल की गारंटी
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अधशासी अभियंता (XEn) मीटर अरविंद पाण्डेय ने बताया कि स्मार्ट मीटर की औसत आयु पांच साल है। हम उपभोक्ता को पांच साल की गारंटी दे रहे हैं। इस बीच अगर मीटर खराब होता है तो उपभोक्ता से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। विभाग की ओर से चैक मीटर भी निःशुल्क लगाये जा रहे हैं। दूसरी ओर उपभोक्ता विभाग की इस कवायद से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। चैक मीटर पर जसप्रीत चावला का कहना था कि विभाग अपनी ओर से मीटर लगा रहा है। बाजार से मीटर खरीद कर लगाया जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। विभाग यहीं भी उपभोक्ता के साथ धोखा कर रहा है।
पहले 15 से 20 साल में बदले जाते थे मीटर
जसप्रीत सिंह चावला की होलीगेट पर कपड़े की दुकान है। वे पूरे विभाग की मंशा पर ही सवाल खडे कर रहे हैं। श्री चावला का कहना है कि पहले 15 से 20 साल में मीटर बदले जाते थे। अब एक साल में ही मेरी दुकान पर तीन बार मीटर बदल दिये गये हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं। इतनी जल्दी मीटर बदलने की वजह क्या है। अगर पहले मीटर खराब थे तो लगाये क्यों गये। विभाग इतने पैसे की बार्बादी क्यों कर रहा है। दूसरी तरफ पैसे की कमी का रोना रोकर बिजली के दामों को बढ़ाया जा रहा है। सरकार अपनी जेब से पैसा खर्च नहीं कर रही है, यह जनता का पैसा है, इस फिजूलखर्ची पर सवाल उठने चाहिए। स्मार्ट मीटर योजना जब इतनी अच्छी है तो पड़ोस के आगरा, अलीगढ जैसे शहरों में क्यों लागू नहीं की गई है। इन शहरों में लाइनलॉस मथुरा से ज्यादा है। यानी मथुरा से कहीं ज्यादा बिजली चोरी इन शहरों में हो रही है। फिर मथुरा को इन मीटरों को लगाने के लिए क्यों चुना गया।
स्मार्ट मीटर से छेड़छाड़ हुई तो देने होंगे पैसे
विभाग कह तो यह रहा है कि स्मार्ट मीटर निःशुल्क लगाये जा रहे हैं। खराब होने पर भी निशुल्क ही बदले जाएंगे। लेकिन इसमें भी किंतु परंतु लगना शुरू हो गया है। अधिशासी अभियंता मीटर अरविंद पाण्डेय का कहना है कि अगर मीटर के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की गई है तो उपभोक्ता को मीटर के पैसे देने होंगे। अब यह तो विभाग ही तय करेगा कि छेड़छाड़ हुई है या नहीं।
हटाये जा रहे मीटरों में क्या कमी है, नहीं बता रहा विभाग?
लाख टके का सवाल यह उठ रहा है कि जिन मीटरों को हटाया जा रहा है उनमें विभाग ने कोई कमी होने की बात नहीं कही है। जब मीटर सही थे तो हटाये क्यों जा रहे हैं। वही लोग यह भी सवाल कर रहे हैं कि अगर मीटर खराब थे तो लगाये क्यों गये थे?
मीटर में कोई गड़बड़ी नहीं
अधिशासी अभियंता मीटर अवरिन्द पांडेय का कहना है कि दुनिया स्मार्ट हो रही है, विभाग भी इस ओर बढ़ रहा है। अब उपभोक्ता को तीस दिन का ही बिल भरना होगा। मीटर रीडर की मनमानी भी रुकेगी। उपभोक्ताओं को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पडेंगे। विभाग उपभोक्ताओं की समस्याओं का भी समाधान कर रह है। चैक मीटर निःशुल्क लगाये जा रहे हैं। कहीं नहीं पाया गया कि किसी मीटर में कोई गड़बड़ी है। उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए ही यह कदम उठाये गये हैं।
विभाग की मनमानी से जनता त्रस्त
व्यापारी नेता सनील साहनी का कहना है कि बिजली बोर्ड की मंशा क्या है, समझ नहीं आ रहा है। स्मार्ट मीटर लगने के बाद तीन हजार का बिल बढ़कर नौ हजार आ रहा है। इसकी शिकायत लिखित में हुई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसकी जांच की जाये और मार्केट से मीटर खरीद कर इस मीटर के साथ लगाया जाए तो दूध का धूध पानी का पानी हो जाएगा। विभाग की मनमानी से जनता त्रस्त है, उर्जा मंत्री को इस पर चिंतन करना चाहिए।
इनपुटः सुनील शर्मा
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