वहीं दूसरी ओर मार्केट में लिस्टेड कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जो वैक्सीन रॉलआउट के बाद और वैक्सीनेशन प्रोसेस शुरू होने के बाद लगातार नीचे की ओर आ रही हैं। जिन कंपनियों ने लॉकडाउन खुलने के दौरान या फिर दो महीने पहले 52 हफ्तों का हाई मारा था, वो उससे 21 फीसदी तक नीचे आ चुकी हैं। आइए आपको भी बताते हैं उन कंपनियों के बारे में…
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इन बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट
देश की टॉप कंपनियों की बात करेंं तों रिलायंस 52 हफ्तों की उंचाई पर सितंबर महीने में पहुंचा था। उसके बाद देश में वैक्सीन रॉलआउट होनी शुरू हुई। तब से अब तक कंपनी के शेयरों में 14 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है। जबकि टीसीएस अपने पीक से 12 फीसदी नीचे आ चुका है। बात इंफोसिस की करें तो उसकी गिरावट 10 फीसदी की है। वहीं टेक कंपनी एचसीएल 14 फीसदी तक नीचे आ चुका है।
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फार्मा कंपनियों का हो रहा है बुरा हश्र
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम बायोकॉन का है, जो अपने पीक से 21 फीसदी तक नीचे खिसक चुका है। इस फेहरिस्त में फार्मा कंपनियों की तादाद ज्यादा है। डॉ. रेड्डी, टॉरेंट और ग्लेनमार्क जैसी फार्मा कंपनियों के शेयरों में 19 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। अरबिंदो फार्मा के शेयरों में 16 फीसदी की गिरावट देखने को मिली हैै। जबकि कैडिला के शेयरों में भी 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है।
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इन कंपनियों को भी हुआ नुकसान
सिर्फ टेक, आईटी और फार्मा कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को नहीं मिली, बल्कि ऑटो, कंज्यूमर कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली है। मारुति सुजुकी के शेयरों में 16 फीसदी से ज्यादा और आयशर मोटर्स के शेयरों में 17 फीसदी से ज्यादा देखने को मिली है। वहीं दूसरी ओर गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के शेयरों में 15.49 फीसदी और ब्रिटानिया के शेयरों में 15.38 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
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क्या कहते हैं जानकार?
शेयर मार्केट एक्सपर्ट रजनीश खोसला के अनुसार वैक्सीन रॉलआउट तक कई कंपनियां अपनी पीक पहुंच चुकी थी। जिसके बाद कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है। वहीं जिन कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान फायदा हो रहा था, उन्हें वैक्सीन रॉलआउट या फिर वैक्सीनेशन प्रोसेस के बाद उन्हें काफी नुकसान हो रहा है। जिसकी वजह से कंपनियों के मार्केट कैप में भी गिरावट देखने को मिली है।
वहीं दूसरी ओर केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार जहां वैक्सीनेशन रोलआउट और वैक्सीनेशन प्रोसेस के बाद कंपनियों के शेयरों में इजाफा देखने को मिला है। इसका जीता जागता उदाहरण टाटा मोटर्स है। बीते तीन महीनों में कंपनी के शेयरों में 85 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है। जबकि कई कंपनियों को नुकसान हुआ है। वैक्सीन रॉलआउट का फायदा उन कंपनियों को नहीं हुआ।