कई महीनों से विचार-विमर्श-
भारत कई महीनों से एक नई ई-कॉमर्स पॉलिसी पर विचार-विमर्श कर रहा है। छोटे विक्रेताओं ने बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे फ्लिपकार्ट और अमेजन के खिलाफ फेडरल रेग्युलेशंस का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। हालांकि कंपनियों ने आरोपों से इनकार किया है। अमेजन ने भारतीय प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के एक छोटे समूह को तरजीह दी है और एडीआइ नियमों को किनारे कर उनका उपयोग किया है।
एल्गोरिदम पक्षपातपूर्ण नहीं हो-
नवीनतम पॉलिसी दस्तावेजों के मुताबिक, सरकार का कहना है कि ऑपरेटरों का विक्रेताओं के साथ व्यवहार निष्पक्ष होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि ई-कॉमर्स ऑपरेटरों को अपने प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत सभी विक्रेताओं के साथ समान व्यवहार और उपचार सुनिश्चित करना चाहिए। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि ऑपरेटरों को उन एल्गोरिदम को नहीं अपनाना चाहिए, जो चुनिंदा विक्रेताओं को प्राथमिकता देते हैं। इस तरह का व्यवहार सही नहीं है।
व्यापारिक संगठनों के साथ बैठक-
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्धन विभाग ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर इसी महीने उद्योग और व्यापारिक संगठनों के साथ बैठक करेगा। इस मुद्दे पर व्यापारियों के संगठन कैट के साथ बैठक 17 मार्च को होगी। वहीं उद्योग संगठनों के साथ बैठक 19 मार्च को बुलाई गई है। इसके अलावा 22 मार्च से क्षेत्र से संबंधित सभी मंत्रालयों तथा विभिन्न कंपनियों के साथ लगातार बैठक की जाएगी।
बैठकों के बाद लिया जाएगा फैसला-
17 मार्च को व्यापारिक संगठन कैट के साथ होगी बैठक।
19 मार्च को उद्योग संगठनों के साथ बुलाई गई है बैठक।
22 मार्च से मंत्रालयों तथा कंपनियों के साथ होगी बैठक।