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बेतुल

विदेशी कोयले से दूर होगी मुश्किलें, कोयला संकट से जूझ रहा है सतपुड़ा पॉवर प्लांट

सिंगाजी पॉवर प्लांट खंडवा को छोडक़र प्रदेश के सभी थर्मल पॉवर प्लांट कोयला संकट से जूझ रहे, सतपुड़ा को 50 हजार मीट्रिक टन विदेशी कोयला आवंटन करने की तैयारी

बेतुलSep 30, 2018 / 02:36 pm

rakesh malviya

9 number units will remain closed in coal salts

सितंबर माह में सर्वाधिक 9354 मेगावाट रही मांग

सारनी. कोल संकट की आहट ने मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी की मुश्किलें बढ़ा दी है। हालत यह है कि विदेशी कोयला आयात करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में विदेशी कोयला ही पॉवर प्लांटों की मुश्किलें दूर करेंगे। इसकी प्रक्रिया भी कंपनी स्तर पर चल रही है। प्रारंभिक तौर पर प्राप्त जानकारी के अनुसार सतपुड़ा को 50 हजार मीट्रिक टन विदेशी कोयला आवंटन करने की तैयारी है। मौजूदा हाल में सिंगाजी पॉवर प्लांट खंडवा को छोडक़र प्रदेश के सभी थर्मल पॉवर प्लांट कोयला संकट से जूझ रहे हैं। सतपुड़ा में महज दो दिन का कोल स्टॉक है। यहां की 6 व 7 नंबर इकाई कोयले की कमी से पहले से ही बंद है। यार्डों में इन दिनों महज 36 हजार मीट्रिक टन कोल स्टॉक है। इस कोयले से सिर्फ दो दिन ही प्लांट चलाया जा सकता है। सतपुड़ा के बाद सबसे ज्यादा कोयले की समस्या बिरसिंहपुर पॉवर प्लांट में हैं। खासबात यह है कि बिरसिंहपुर और सतपुड़ा पॉवर प्लांट ही प्रदेश के दो बड़े बिजली घर है। जो इन दिनों कोयले की समस्या से जूझ रहे हैं।
नहीं मिल रहा खपत के अनुरूप कोयला
सतपुड़ा को खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिलने से संकट की स्थिति निर्मित हुई है। रोजाना रेलवे से 3-4 रैक, रोडसेल और कन्ेवयर बेल्ट लाइन के जरिए 5 हजार मीट्रिक टन कोयला सतपुड़ा को चाहिए। लेकिन ऐस नहीं हो रहा। रेलवे से महज 2 रैक और क्षेत्रीय खदानों से 5 हजार मीट्रिक टन कोयला मिल रहा है। जो खपत के अनुरूप नहीं नहीं है। इसी से सतपुड़ा पॉवर प्लांट में कोयला संकट गहरा गया है। सिंचाई का समय आने से मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी आनन-फानन में विदेशी कोयला आयात करने की तैयारी में हैं। सितंबर माह में अब तक रेलवे के जरिए 52 रैक कोयला सतपुड़ा को मिला है।
जनवरी तक रहती है बिजली की मांग
साल में अक्टूबर से जनवरी माह तक बिजली की मांग सामान्य से ज्यादा रहती है। डिमांड पूरी करने कंपनी प्रबंधन द्वारा पहले से तैयारी की जाती है। इस साल अल्पवर्षा होने से डिमांड सितंबर माह में ही बढ़ गई। जिससे कोयला संकट की स्थिति और ज्यादा निर्मित होने लगी है। बीते वर्ष दिसंबर माह में 7 दिन और जनवरी माह में 3 दिनों तक 12 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की मांग प्रदेश में रही है जो प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है। इस साल बिजली की मांग 14 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है।
इनका कहना
कोयले की कमी से इकाइयों को कम लोड पर चलाया जा रहा है। फिलहाल 8,9,10 और 11 नंबर इकाई से 800 मेगावाट के आसपास विद्युत उत्पादन हो रहा है। कोल स्टॉक 46 हजार मीट्रिक टन है। विदेशी कोयला आयात करने की जानकारी नहीं है।
अमित बंसोड़, पीआरओ, सतपुड़ा पॉवर प्लांट, सारनी।

सतपुड़ा को अप्रैल से अगस्त तक कोयला आपूर्ति –
माह – आपूर्ति
अप्रैल – 4 लाख 62 हजार
मई – 4 लाख 20 हजार
जून – 4 लाख 61 हजार
जुलाई – 4 लाख 60 हजार
अगस्त – 4 लाख 44 हजार
(नोट :- आपूर्ति कोयला मीट्रिक टन में हैं।)
सतपुड़ा से विद्युत उत्पादन –
इकाई – उत्पादन – क्षमता
6 – 00 – 200
7 – 00 – 210
8 – 160 – 210
9 – 160 – 210
10 – 250 – 250
11 – 250 – 250
(नोट :- बिजली उत्पादन मेगावाट में हैं। 6 व 7 नंबर इकाई कोयले की कमी से बंद है। )

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