सतपुड़ा को खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिलने से संकट की स्थिति निर्मित हुई है। रोजाना रेलवे से 3-4 रैक, रोडसेल और कन्ेवयर बेल्ट लाइन के जरिए 5 हजार मीट्रिक टन कोयला सतपुड़ा को चाहिए। लेकिन ऐस नहीं हो रहा। रेलवे से महज 2 रैक और क्षेत्रीय खदानों से 5 हजार मीट्रिक टन कोयला मिल रहा है। जो खपत के अनुरूप नहीं नहीं है। इसी से सतपुड़ा पॉवर प्लांट में कोयला संकट गहरा गया है। सिंचाई का समय आने से मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी आनन-फानन में विदेशी कोयला आयात करने की तैयारी में हैं। सितंबर माह में अब तक रेलवे के जरिए 52 रैक कोयला सतपुड़ा को मिला है।
साल में अक्टूबर से जनवरी माह तक बिजली की मांग सामान्य से ज्यादा रहती है। डिमांड पूरी करने कंपनी प्रबंधन द्वारा पहले से तैयारी की जाती है। इस साल अल्पवर्षा होने से डिमांड सितंबर माह में ही बढ़ गई। जिससे कोयला संकट की स्थिति और ज्यादा निर्मित होने लगी है। बीते वर्ष दिसंबर माह में 7 दिन और जनवरी माह में 3 दिनों तक 12 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की मांग प्रदेश में रही है जो प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है। इस साल बिजली की मांग 14 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है।
कोयले की कमी से इकाइयों को कम लोड पर चलाया जा रहा है। फिलहाल 8,9,10 और 11 नंबर इकाई से 800 मेगावाट के आसपास विद्युत उत्पादन हो रहा है। कोल स्टॉक 46 हजार मीट्रिक टन है। विदेशी कोयला आयात करने की जानकारी नहीं है।
माह – आपूर्ति
अप्रैल – 4 लाख 62 हजार
मई – 4 लाख 20 हजार
जून – 4 लाख 61 हजार
जुलाई – 4 लाख 60 हजार
अगस्त – 4 लाख 44 हजार
(नोट :- आपूर्ति कोयला मीट्रिक टन में हैं।)
सतपुड़ा से विद्युत उत्पादन –
इकाई – उत्पादन – क्षमता
6 – 00 – 200
7 – 00 – 210
8 – 160 – 210
9 – 160 – 210
10 – 250 – 250
11 – 250 – 250
(नोट :- बिजली उत्पादन मेगावाट में हैं। 6 व 7 नंबर इकाई कोयले की कमी से बंद है। )