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जब क्रूड ऑयल की वजह से दर्ज हुई थी इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट
बात 24 अगस्त, 2015 की है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के बाजार धराशाई हो गए। शंघाई के शेयर बाजार में उस दिन 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। जिसकी वजह से भारतीय शेयर बाजार ने 1,624 अंकों का ऐतिहासिक गोता लगाया था। उस दिन बीएसई के मार्केट कैप को 7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
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जब पहली बार अमरीकी मंदी की वजह से डूबा था शेयर बाजार
जी हां, 2008 के उस दौर को कोई भी अर्थव्यवस्था नहीं भुला सकती है। उस दौरान शेयर बाजारों ने जमकर गोता लगाया था। पहली बार इसका असर भारतीय बाजारों पर 21 जनवरी 2008 को देखने को मिला। मंदी के दौर में विदेशी बाजारों में गिरावट की वजह से भारतीय शेयर बाजार में 1,408 अंकों की गिरावट देखने को मिली थी। कारोबार के दौरान उस दौर में सेंसेक्स 16,963 अंकों पर आ गया था। बाजार बंद होने के दौरान थोड़ी रिकवरी हुई थी और 17,605 अंकों पर बंद हुआ था।
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10 महीने के बाद फिर लगा था बाजार को बड़ा झटका
जनवरी 2008 के बाद 24 अक्टूबर 2008 में भी अमरीकी मंदी की वजह से बाजार को बड़ा झटका लगा था। सिर्फ 10 महीने में ही सेंसेक्स 21 हजार से 8000 अंकों के लेवल पर आ गया था। सेंसेक्स उस दिन 1,070 अंकों तक लुढ़का था। सेंसेक्स में 11 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। जबकि उस दिन निफ्टी में 13 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी।
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जब निर्मला के बजट ने बिगाड़ा था बाजार का मूड
बात इसी साल की ही नहीं बल्कि इसी महीने की पहली तारीख की है। जब देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2020 पेश किया था। उस दिन बाजार का मूड ऐसा बिगड़ा बाजार में चौथी ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली। बजट में निवेशकों के लिए कुछ खास ना होने के कारण बाजार से रुपया निकालना शुरू कर दिया था। जिसकी वजह से उस दिन सेंसेक्स 988 अंकों तक गिर गया।
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बाजार की पांचवीं सबसे बड़ी ऐतिहासिक गिरावट
फिर वहीं अमरीकी मंदी का दौर 17 मार्च 2008। उस दिन शेयर बाजार में 950 अंकों की गिरावट के साथ पांचवीं ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली। बाजार दो महीनों में ही 21 हजार से 15 हजार के स्तर पर आ गया था। खास बात तो ये है कि 3 मार्च 2008 को बाजार में 900 अंकों की गिरावट के दो हफ्तों के बाद ही 950 अंकों की गिरावट देखने को मिली।