डिपॉजिटरी के ऑंकड़ों की मानें तो 1-12 जून के बीच Foreign Portfolio Investors ( FPI ) ने शेयर बाजार में पूरे 22,840 करोड़ रुपये की पूंजी डाली. हालांकि, उन्होंने डेट बाजार से 2,266 करोड़ रुपये निकाल लिए। इस तरह उनका शुद्ध निवेश ( NET INVESTMENT ) 20,574 करोड़ रुपये रहा है। माना जा रहा है कि इसकी मुख्य वजह ग्लोबल मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ना है।
दरअसल दुनियाभर की सरकारों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं में जान फूंकने क लिए प्रत्यक्ष मदद देने के लिए नोटो की छपाई कर अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी को बढ़ाया है। जिसकी वजह से दुनिया भर के उभरते बाजारों में निवेश बढ़ा है। GROW के कोफाउंडर और सीओओ हर्ष जैन ने भी इस बात की तस्दीक करते हुए कहा कि, “दुनिया भर की सरकारें अर्थव्यवस्थाओं में जान फूंकने की कोशिश कर रही हैं। अतिरिक्त नोटों की छपाई भी हो रही है, जिससे सिस्टम में नकदी बढ़ी है।”
इससे पहले बीते तीन महीनों से विदेशी निवेशक बाजार से पैसे निकाल रहे थे । शेयर बाजार में मई में 7,366 करोड़ रुपये, अप्रैल में 15,403 करोड़ रुपये और मार्च में रिकार्ड 1.1 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।
फिर भी कुछ बाजार विश्लोषकों का मानना है कि यइसे स्थाई नहीं मान सकते हैं। भारत में बढ़ते कोरोना के केसेज की वजह से FPI अपना रूख बदल भी सकते हैं । इसीलिए अभी इस स्टेज पर कुछ भी कहना जल्द बाजी होगी और हर कदम सोच-समझकर उठाने की जरूरत होगी।