39.08 फीसदी घटी जी लि. की हिस्सेदारी
जी लि. के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पुनीत गोयनका ने विश्लेषक कॉल में कहा कि हमारी मंशा नहीं बदली है। लेकिन यदि कोई 50 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश करता है तो हम उस पर विचार करेंगे। उनसे पूछा गया था कि क्या प्रवर्तक अधिक हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहे हैं जबकि 2.43 करोड़ गिरवी रखे शेयरों की बिक्री के बाद उनकी हिस्सेदारी घटकर 39.08 फीसदी रह गई है।
दिसंबर में 41.62 फीसदी थी हिस्सेदारी
31 दिसंबर 2018 तक जी लि. में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 41.62 फीसदी थी। गोयनका ने हालांकि कहा कि संभावित निवेशकों के साथ बातचीत में प्रवर्तकों ने पहले अपनी करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की मंशा जताई थी। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि संभावित खरीदारों की संख्या दो या अधिक है। इससे पहले इसी सप्ताह एस्सेल समूह ने अपने ऋणदाताओं के साथ औपचारिक रूप से करार किया था जिससे अपनी कंपनियों को वह परिचालन में कायम रख सके। इसके तहत समूह को अपने कर्ज का भुगतान करने के लिए सितंबर तक का समय मिला है। प्रवर्तकों की सभी सूचीबद्ध कंपनियों का शेयरों के बदले कर्ज का आंकड़ा 13,500 करोड़ रुपए है।
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