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आयात शुल्क में कटौती के बाद भी खाद्य तेलों के दाम में तेजी जारी

पाम तेल से आयात शुल्क घटने के बावजूद खाद्य तेल हुआ महंगा
सोया तेल के दाम में 27 फीसदी और सरसों में 21 फीसदी का इजाफा

Jan 03, 2020 / 09:15 am

Saurabh Sharma

Edible oil prices continue to rise even after import duty cut

नई दिल्ली। खाने के तेल की बढ़ती कीमतों को काबू करने के मकसद से केंद्र सरकार ( Central govt ) द्वारा पाम तेल पर आयात शुल्क में कटौती ( Import duty cut on palm oil ) के बावजूद तमाम खाद्य तेलों के दाम में तेजी ( Edible Oils Prices Rise ) बदस्तूर जारी है। घरेलू वायदा बाजार में पाम तेल का दाम रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर ( Palm Oil Price on Record High ) है। पाम तेल महंगा ( Palm Oil Expensive ) होने से अन्य खाद्य तेलों में भी तेजी बनी हुई है। कच्ची घानी सरसों तेल के दाम में पिछले साल के मुकाबले 21 फीसदी, जबकि सोया तेल के दाम में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है।

मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल का दाम बढऩे के कारण भारत में खाद्य तेलों की कीमतें तेज हैं और बाजार के जानकारों की मानें तो उपभोक्ताओं को खाने के तेल की महंगाई से फिलहाल राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं। केंद्र सरकार ने रिफाइंड पामोलीन के आयात पर शुल्क 50 फीसदी से घटाकर 45 फीसदी और क्रूड पाम तेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क 40 फीसदी से घटाकर 37.50 फीसदी कर दिया है जो एक जनवरी से लागू है।

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भारत तकरीबन 150 लाख टन सालाना खाद्य तेल का आयात करता है, जिसमें सबसे ज्यादा आयात पाम तेल का होता है। दुनिया में पाम तेल का मुख्य उत्पादक व निर्यातक इंडोनेशिया और मलेशिया है, जहां बायोडीजल कार्यक्रम शुरू होने से तेल की खपत बढऩे और उत्पादन कमजोर रहने के अनुमानों से पाम के दाम में लगातार तेजी का सिलसिला जारी है। बाजार के जानकार बताते हैं कि आने वाले दिनों में पाम तेल के दाम और इजाफा हो सकता है।

खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी. मेहता ने बताया कि भारत में पाम तेल पर आयात शुल्क में कटौती का फायदा न तो उपभोक्ताओं को मिलेगा और न ही उद्योग और देश के किसानों को। उन्होंने कहा, “यहां आयात शुल्क घटने पर मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल तेल के दाम में इजाफा हो जाता है। साथ ही, क्रूड पाम तेल और रिफाइंड पामोलीन पर आयात शुल्क में अंतर कम होने से क्रूड पाम का आयात कम होगा और रिफाइंड पामोलीन का आयात ज्यादा होगा, जिससे घरेलू उद्योग पर बुरा असर पड़ेगा।”

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उधर, इंडोनेशिया ने सीपीओ पर 50 डॉलर प्रति टन और रिफाइंड पामोलीन पर 30 डॉलर प्रति निर्यात शुल्क लगा दिया है। वहीं, मलेशिया ने हालांकि रिफाइंड पामोलीन पर कोई निर्यात शुल्क नहीं रखा है, लेकिन सीपीओ के निर्यात पर 31 डॉलर प्रति टन का शुल्क लगा दिया है। दोनों देशों में निर्यात शुल्क की ये दरें एक जनवरी 2020 से लागू है।

खाद्य तेल बाजार के जानकार मुंबई के सलिल जैन बताते हैं कि देश में इस समय तेल और तिलहनों का स्टॉक खपत के मुकाबले काफी कम है, इसलिए तेल की महंगाई से फिलहाल राहत मिलने की संभावना नहीं दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि आयात शुल्क घटने से भले ही आने वाले दिनों में पोर्ट लैंडिंग लागत में कमी आए मगर उससे इस समय हाजिर बाजार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया और मलेशिया में इस साल बायोडीजल कार्यक्रमों में पाम तेल की घरेलू खपत बढ़ जाएगी, जिससे वहां से आयात महंगा बना रहेगा। जैन ने बताया कि पूरी दुनिया में खाद्य तेल के दाम में तेजी बनी हुई है, इसलिए निकट भविष्य में राहत मिलने की गुंजाइश नहीं दिखाई दे रही है।

देश में सरसों तेल का सबसे प्रमुख बाजार जयपुर में कच्ची घानी सरसों तेल पिछले साल पहली जनवरी को 814 रुपये प्रति 10 किलो था जो बढ़कर 985 रुपये प्रति 10 किलो हो गया है। वहीं, सोया तेल का बेंचमार्क बाजार इंदौर में एक जनवरी 2018 को सोया तेल का दाम 740 रुपये प्रति 10 किलो था जो अब बढ़कर 940 रुपये प्रति किलो हो गया है।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सीपीओ का जनवरी वायदा अनुबंध पिछले सत्र से 6.1 रुपये यानी 0.75 फीसदी की तेजी के साथ 815.5 रुपये प्रति 10 किलो पर बना हुआ था, जबकि इससे पहले भाव 817.8 रुपये तक उछला। मलेशिया के वायदा एक्सचेंज पर सीपीओ का मार्च अनुबंध 74 रिंगिट की तेजी के साथ 3,126 रिंगिट प्रति टन पर बना हुआ था।

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