सूत्रों के मुताबिक फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत फ्लिपकार्ट, इसके संस्थापक सचिन बंसल और विन्नी बंसल समेत 10 लोगों को पिछले महीने नोटिस जारी किया गया था। सूत्रों का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और मल्टी-ब्रांड रिटेल से जुड़े नियमों के उल्लंघन के आरोप में यह नोटिस जारी किया गया था।
उनका कहना है कि वालमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी और इसके एग्जिक्यूटिव पर अब न्यायिक फैसला आएगा जो चेन्नई स्थित एजेंसी के विशेष निदेशक रैंक वाले अधिकारी द्वारा जारी किया जाएगा। फेमा के तहत होने वाली सिविल कार्रवाई में न्यायिक फैसले के बाद लगाया जाने वाला अंतिम जुर्माना कानून के तहत निर्धारित रकम का तीन गुणा हो सकता है।
वहीं, फ्लिपकार्ट का कहना है कि कंपनी जांच में ईडी का सहयोग कर रही है। कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक, “कंपनी भारतीय नियम और कानून के तहत कार्य कर रही है जिसमें एफडीआई नियम भी शामिल हैं। नोटिस के मुताबिक 2009 से 2015 तक की अवधि के लिए वे मामले की जांच करेंगे और हम उनके साथ पूरा सहयोग करेंगे।”
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फ्लिपकार्ट के खिलाफ कथित एफडीआई नियमों के उल्लंघन का मामला 2012 से ईडी की जांच के दायरे में है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने इसे फेमा के कथित उल्लंघन के कई मामलों में संलिप्त पाया है, जिसमें भारत के बाहर किसी व्यक्ति या इकाई को ट्रांसफर किया जाना और सिक्योरिटी देना भी शामिल है। यह भी पढ़ें
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भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में Amazon और Reliance JioMart सहित कई कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में जुटे फ्लिपकार्ट ने पिछले कई वर्षों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी देखी है। 2018 में अमरीकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट इंक ने 16 बिलियन अमरीकी डालर में फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। उस समय इसके संस्थापक और इसके कई निवेशक या तो आंशिक या पूर्ण रूप से इससे हट गए। यह भी पढ़ें