बन रहे हैं कई वैश्विक कारण
विश्लेषकों का कहना है कि अभी भी वैश्विक स्तर पर कोरोना के मामलों में कोई कमी नई आयी है। इसके साथ ही अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज जारी किए जाने की संभावना बहुत कम दिख रही है। इसका असर वैश्विक बाजार पर दिख सकता है। वहीं दूसरी ओर फेड के नतीजे भी सामने आएंगे। जानकारों के अनुसार उम्मीद कम ही देखने को मिल रही है कि फेड ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती करे। दूसरी ओर अमरीका के साथ चीन के आर्थिक आंकड़ों पर भी वैश्विक बाजार में असर देखने को मिलेगा।
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घरेलू कारकों का भी रहेगा
बिहार में चुनावी माहौल गर्म है। वहीं दूसरी ओर घरेलू स्तर पर कंपनियों के तिमाही परिणामों के साथ ही अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों का असर भी बाजार पर दिख सकता है। आने वाले दिनों में ऑटो के साथ मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के भी आंकड़े आएंगे। इसके अलावा इसी सप्ताह में थोक और खुदरा महंगाई के दर के आंकड़े भी बाजार पर असर दिखा सकते हैं। आपको बता दें कि पिछले महीने खुदरा और थोक महंगाई दर में इजाफा देखने को मिला था।
पिछले सप्ताह कुछ ऐसा रहा था बाजार
समीक्षाधीन अवधि में बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 2.63 प्रतिशत अर्थात 1071.43 अंक टूटकर 40 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 39614.07 अंक पर आ गया। इस दौरान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 2.41 प्रतिशत अर्थात 287.95 अंक गिरकर 11642.40 अंक पर रहा। इस अवधि में बीएसई का मिडकैप 0.48 प्रतिशत अर्थात 71.48 अंक उतरकर 14904.62 अंक पर और स्मॉलकैप 1.63 प्रतिशत अर्थात 246.51 अंक टूटकर 14888.08 अंक पर रहा।