भारत में बढ़ सकते हैं तेल के दाम
अमरीका के इस फैसले से सबसे ज्यादा भारत और चीन को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही भारत में कच्चे तेल की लागत तीन से पांच फीसदी तक बढ़ सकती है। मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक, इराक ने लगातार दूसरे साल भारत को सबसे ज्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति की है। इस दौरान अमरीका से कच्चे तेल की आपूर्ति में चार गुना तक की तेजी देखी गई है। अमरीका की भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति 2018-19 में चार गुना बढ़कर 64 लाख टन हो गई। वहीं, साल 2017-18 की बात करें तो इस समय भारत ने अमरीका से 14 लाख टन तेल का आयात किया। वहीं, 2018-19 में कुल 20.7 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया।
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देश | 2017-18 | 2018-19 |
इराक | 4.57 करोड़ टन | 4.66 करोड़ टन |
सऊदी | 3.61 करोड़ टन | 4.03 करोड़ टन |
ईरान | 2.25 करोड़ टन | 2.39 करोड़ टन |
यूएई | 1.42 करोड़ टन | 1.75 करोड़ टन |
वेनेजुएला | 1.83 करोड़ टन | 1.73 करोड़ टन |
नाइजीरिया | 1.81 करोड़ टन | 1.68 करोड़ टन |
कुवैत | 1.1 करोड़ टन | 1.07 करोड़ टन |
मैक्सिको | 0.99 करोड़ टन | 1.02 करोड़ टन |
(Source: अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के आंकड़े, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कामर्शियल इंटेलीजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स)
ईरान से करता था सबसे ज्यादा आयात
आपको बता दें कि ईरान भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत में सबसे ज्यादा तेल ईरान से आयात किया जाता है। अमरीका के फैसले के कारण भारत ने इस समय ईरान से तेल आयात करना बंद कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, ईरान ने 2018-19 में भारत को 2.39 करोड़ टन कच्चे तेल की आपूर्ति की जोकि इससे पहले वाले वित्त वर्ष में यह 2.25 करोड़ टन था।
ईरान से इसलिए किया जाता है सबसे ज्यादा तेल आयात
भारत ईरान से सबसे ज्यादा तेल का आयात इसलिए करता था क्योंकि ईरान भारत को तेल खरीद पर अतिरिक्त छूट देता था। इसके साथ ही भारतीय रिफायनरी के लिए ज्यादा उपयुक्त भी माना जाता था। ईरान भारत को भुगतान के लिए ज्यादा समय भी देता है। इसके अलावा सबसे बड़ा कारण यह है कि ईरान रुपए में भी कुछ भुगतान स्वीकार करता था।
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