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पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी भी नहीं हुआ उत्पादन
पिछले साल के मुकाबले देश में इस सीजन में चीनी का उत्पादन 50 फीसदी भी नहीं हुआ है। महाराष्ट्र में गन्नों की पेराई देर से शुरू होने के कारण इस सीजन में 30 नवंबर तक चीनी का उत्पादन अब तक पिछले साल के मुकाबले 53 फीसदी कम हुआ है। निजी चीनी मिलों का संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू गन्ना पेराई सत्र 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती दो महीने के दौरान देशभर में चीनी का उत्पादन 18.85 लाख टन हुआ है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान चीनी का उत्पादन 40.69 लाख टन हुआ था। इस प्रकार चालू सीजन में चीनी का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 53.46 फीसदी कम हुआ है।
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सिर्फ चार लाख टन चीनी से चलेगा देश
ताज्जुब की बात तो ये है कि चालू सीजन में अब तक 15 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हो चुके हैं। भारत ईरान, श्रीलंका, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों को चीनी निर्यात कर रहा है। अगर हम 15 लाख टन चीनी के निर्यात को आधार मानकर चलें तो देश में सिर्फ 3.85 लाख टन चीनी का स्टॉक रह जाएगा। नए साल के बाद फेस्टिव सीजन शुरू होने वाला है। जिसमें चीनी की डिमांड रहेगी। डिमांड रहने और स्टॉक कम रहने से दाम में इजाफा होने की उम्मीदें बढ़ जाएंगी।
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5 रुपए प्रति किलो तक बढ़ सकते हैं चीनी के दाम
एंजेल ब्रोकिंग ( रिसर्च एंड कमोडिटी ) के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता के अनुसार मौजूदा सीजन में प्रोडक्शन काफी कम हुआ है। ऐसे में 15 लाख टन निर्यात होगा तो डॉमेस्टिक यूज के लिए चीनी का स्टॉक काफी कम रह जाएगी। जिसके बाद दाम बढ़ेंगे। उन्होंने आगे कहा इस कंडीशन में 5 रुपए प्रति किलो के हिसाब से रिटल में दाम बढ़ सकते हैं। आपको बता दें कि मौजूदा समय में रिटेल दुकानों में चीनी के दाम 38 रुपए से लेकर 40 रुपए प्रति किलो हैं। उद्योग संगठन ने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों में चीनी का एक्स-मिल रेट पिछले कुछ महीनों से 3,250-3,300 रुपए प्रति क्विंटल और पश्चिमी राज्यों में 3,100-3,250 रुपए प्रति क्विंटल है।
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क्या कैंसल होंगे निर्यात सौदे?
कम प्रोडक्शन होने और निर्यात सौदे ज्यादा होने के बाद अब कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। जानकारों की मानें तो सरकार ऐसी स्थिति में निर्यात सौदों को कम कर सकती है। या फिर कैंसल भी कर सकती है। अनुज गुप्ता के अनुसार जब भी इस तरह की परिस्थितियां सामने आती हैं तब सरकार सौदों को कैंसल करने का अधिकार भी अपने पास रखती है। या फिर सौदों को कम कर सकती है। जिस तरह से सरकार ने मौजूदा समय में प्याज को लेकर किया है। वहीं पुराना स्टॉक भी बाहर निकाला जाएगा। मौजूदा समय में सरकार सभी खाद्य पदार्थों की कीमतों को बैलेंस करने में जुटी हुई है। अगर चीनी की डिमांड बढ़ेगी तो सरकार से बाहर से चीनी को आयात भी कर सकती है।
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किस प्रदेश में कितना कम हुआ प्रोडक्शन
इस्मा से मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल 30 नवंबर 2018 को देशभर में 418 चीनी मिलें चालू थीं जबकि इस साल 30 नवंबर तक महज 279 चीनी मिलों में चीनी का उत्पादन हुआ। देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 30 नवंबर तक 105 चीनी मिलों में 9.14 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल इसी अवधि में प्रदेश की 111 चीनी मिलों में 10.81 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में इस साल 22 नवंबर को गन्नों की पेराई शुरू हुई और 30 नवंबर तक 43 चीनी मिलों में 67,000 टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल 30 नवंबर को प्रदेश में 175 चीनी मिलें चालू थीं और उत्पादन 18.89 लाख टन हो चुका था। कर्नाटक में 61 चीनी मिलों में इस साल नवंबर तक 5.21 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल 63 चीनी मिलों ने इसी अवधि के दौरान 8.40 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था।