मंदसौर

400 साल पुराना महिषासुर मर्दिनी का मंदिर बना जनआस्था का केंद्र

400 साल पुराना महिषासुर मर्दिनी का मंदिर बना जनआस्था का केंद्र

मंदसौरOct 02, 2022 / 10:06 am

Nilesh Trivedi

400 साल पुराना महिषासुर मर्दिनी का मंदिर बना जनआस्था का केंद्र


शाामगढ़.
नवरात्र के इस दौर में नगर में स्थित महिषासुर मर्दिनी माता का मंदिर नगरवासियों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। वार्ड 1, 2, 3, 4 की प्रमुख कॉलोनियों के मध्य एक ऊंची पहाड़ी पर घनी आबादी के बीच बसा है अति प्राचीन मंदिर मां महिषासुर मर्दिनी देवी मंदिर जो अब किवंदतियों के कारण जनआस्था का केंद्र बन गया है। दोनों नवरात्रि पर नवरात्रि में मां की प्रतिमा को ध्यान से देखें तो मां सुबह, दोपहर एवं संध्या के समय अलग-अलग मुख मुद्रा में विद्यमान रहती है। मां के दरबार में जो भी कामना की जाती है मां उसे पूरा करती हैं।

माना जाता है कि 400 से अधिक वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1623 में रामपुरा से राजपूत सरदार श्यामसिंह अपने परिवार के साथ यहां बसे। उन्हीं ने स्थान पर गढ़ बनाकर अपने नाम के अनुसार इस स्थान का नाम श्यामगढ़ रखा। जो आज शामगढ़ के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1946 के बाद स्वण् वैद्य बालाराम चौहान ने मंदिर का समुचित विकास उस समय समिति का गठन करवा कर पूरे मंदिर में कांच जड़वाए। यह कांच के मंदिर के नाम से पूरे जिले में प्रसिद्व है। नगर परिषद प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया से मां के नाम से पशु मेला आयोजित करती है। वर्तमान में प्रशासन के हाथों में इसकी देख रेख है। दोनों नवरात्रि ऊपर महानवमी के दिन शाम को महाआरती के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है। मंदिर की प्रसिद्धि के चलते यहां विकास की बहुत संभावनाएं हैं। मंदिर नव निर्माण को लेकर प्रशासन एवं जनसहयोग से करोड़ों रुपए की लागत से बनाया जाएगा। मां का मंदिर उसको लेकर जल्द ही मंदिर नव निर्माण का समिति रूपरेखा तैयार की।

अहमदाबाद से आया मंदिर का मॉडल
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मंदिर का कांच में जड़ा मॉडल अहमदाबाद से मंदिर लाया गया। जो भक्तों को अवश्य का केंद्र है। पंडित बगदीराम योगी ने बताया कि मां महिषासुर मर्दिनी देवी माता मंदिर में नवरात्रि पर विशेष श्रृंगार प्रत्येक दिन एवं मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है।

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