scriptइंजीनियरिंग और आधुनिक तकनीक फेल हुई तो मकबूल ने देशी फार्मूले से स्थापित करा दिया सहस्त्र शिवलिंग | Sahastra Shivling installed with deshi formula | Patrika News
मंदसौर

इंजीनियरिंग और आधुनिक तकनीक फेल हुई तो मकबूल ने देशी फार्मूले से स्थापित करा दिया सहस्त्र शिवलिंग

कई प्रकार की मशीनों से शिवलिंग को स्थापित करने के हर संभव प्रयास किए गए, लेकिन जब कोई भी तकनीक काम नहीं आई तो एक मिस्त्री ने बर्फ के सहयोग से 2 टन वजनी शिवङ्क्षलग स्थापित करवा दिया,

मंदसौरFeb 11, 2022 / 12:18 pm

Subodh Tripathi

इंजीनियरिंग और आधुनिक तकनीक फेल हुई तो मकबूल ने देशी फार्मूले से स्थापित करा दिया सहस्त्र शिवलिंग

इंजीनियरिंग और आधुनिक तकनीक फेल हुई तो मकबूल ने देशी फार्मूले से स्थापित करा दिया सहस्त्र शिवलिंग

मंदसौर. कहते हैं जहां विदेशी तकनीक भी फेल हो जाए, वहां जुगाड़ काम कर जाती है, ऐसा ही मध्यप्रदेश के मंदसौर में हुआ है, यहां पशुपतिनाथ मंदिर के समीप सहस्त्र शिवलिंग को जलाधारी में स्थापित करना था, इसके लिए इंजीनियरिंग दिमाग भी लगाया गया, कई प्रकार की मशीनों से शिवलिंग को स्थापित करने के हर संभव प्रयास किए गए, लेकिन जब कोई भी तकनीक काम नहीं आई तो एक मिस्त्री ने बर्फ के सहयोग से 2 टन वजनी शिवङ्क्षलग स्थापित करवा दिया, जिसे देखकर हर कोई आश्चर्य चकित रह गया।

4 टन की जलाधारी पर करीब 2 टन वजनी सहस्त्र शिवलिंग प्रतिमा को स्थापित करने का कार्य पूरा हो गया। पशुपतिनाथ मंदिर के समीप शिव मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापना के लिए बुधवार की आधी रात तक कार्य चलता रहा। घंटो मशक्कत के बाद भी जब इंजीनियरिंग और मशीनों के बल पर शिवलिंग को जलाधारी पर स्थापित करने में नाकामी हाथ लगी तो मिस्त्री का कार्य करने वाले मकबूल अंसारी की देसी तकनीक काम आई और सफलतापूर्वक सहस्त्र शिवलिंग जलाधारी में स्थापित कर दिया गया।

हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बुधवार की रात को प्राचीन सहस्त्र शिवलिंग की स्थापना हो गई करीब तीन दिनों से जारी कार्य के आखिरी दिन तमाम संसाधन जुटाए गए, लेकिन मशीनों के पट्टे से लेकर बड़ी सांकल और वजन उठाने की तमाम मशीनें व संसाधन शिवलिंग को जलाधारी में नहीं रख पा रहे थे। आधुनिक तकनीकि और संसाधन से लेकर इंजीनियरिंग भी जब काम ना आई तो मिस्त्री मकबूल अंसारी ने अपनी तकनीकि से मूर्ति को जलाधारी में स्थापित कर दिया। रात को 7 से 8 किलो बर्फ मंगवाया और जलाधारी में रखा गया। इसके ऊपर प्रतिमा को टिका दिया। जैसे-जैसे बर्फ पिघली प्रतिमा अंदर जाती गई और पूरी बर्फ पिघलते ही प्रतिमा जलाधारी में स्थापित हो गई। इसके बाद समूचा परिसर महादेव के जयकारे से गूंज उठा। गर्भगृह में सहस्त्र शिवलिंग प्रतिमा के साथ ही शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित होगी, जो जयपुर में मगराना के सफेद मार्बल से तैयार हो रही है। वहीं शिखर पीतल का तैयार होगा। प्राण प्रतिष्ठा के साथ गर्भगृह में शिव परिवार की स्थापना भी होगी। शिखर व गर्भगृह का काम अंतिम दौर चल रहा है।

जलाधारी में शिवलिंग स्थापित करने का मौका मिलना सौभाग्य… मकबूल अंसारी

शहर के खिलचीपुरा में रहने वाले मकबूल अंसारी ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई लिखाई नहीं की लेकिन पिछले 40 सालों से वह मिस्त्री का कार्य कर रहे है। विदेशों में भी उन्होंने काम किया है, सऊदी में वह रहे है। अब तक कई जगहों पर मंदिर निर्माण के कार्य में वह हिस्सा बनें, लेकिन सहस्त्र शिवलिंग मंदिर के निर्माण में जलाधारी में मूर्ति स्थापित करने में इस तरह मौका मिलना और इस काम को करवाना किसी सौभाग्य से कम नहीं था। जब यह काम पूरा हुआ तो सुकून मिला। अच्छा लग रहा है। जब ये काम कर रहा था तब मन में कुछ नहीं आया। बस यहीं भाव था कि शिवलिंग जलाधारी में स्थापित हो जाए। इस बार की खुशी है कि इतने बड़े काम में मुझे अवसर मिला।

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मकबूल का बर्फ के उपयोग करने का निर्णय रहा कारगर, सफल रही स्थापना

पुरातत्वविद केसी पांडेय ने बताया कि मकबूल ने बर्फ का विचार सुझाया और वह कारगर रहा। अभिजीत मुहूत में सोमवार से जलाधारी में मूर्ति को स्थापित करने के काम की शुरुआत की थी. जो मकबूल के सहयोग से पूरा हुआ। तीन दिनों से शिवलिंग को जलाधारी में स्थापित करने का काम चल रहा था। बुधवार को देररात तक काम चला। करीब 12.30 बजे शिवलिंग जलाधारी में स्थापित हुआ।

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