जानकारी के अनुसार गुरुवार को चीतों के बाड़े में रावलकुडी और भुज के बीच में वनविभाग के अधिकारी-कर्मचारी के द्वारा फायर लाइन को जलाया जा रहा था, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा काम में बड़ी चूक हुई। जिसके चलते फायर लाइन से आग तेजी से बढ़ी। ऐसा बताया जा रहा है कि इस दौरान भी वनविभाग के अमले के पास आग बुझाने के कुछ खास इंतजाम नहीं है।
जिसके चलते तेजी से सूखी घास ने आग पकड़ ली और आग ने बड़ा रूप ले लिया। गांधीसागर पूर्व, पश्चिम गेम रेंज, अधीक्षक उपवनमण्डल अधिकारी संयुक्त रूप से आग पर काबू पाया। मंदसौर जिले के अलावा नीमच कलेक्टर से भी चर्चा की इस पर मनासा अनुविभाग का अमला भी आग पर काबू पाने के कामों में जुटा।
डीएफो ने कही जांच की बात
चीता प्रोजेक्ट के लिए बनाए गए बाड़े में आग लगने की सूचना पर डीएफओ संजय रायखेड़े मामले की गंभीरता को देखते हुए लगातार जानकारी ली और मौके पर पहुंचे। यहां पर अधिकारियों और कर्मचारियों से पहले आग लगने का कारण पूछा और फिर उसके बाद वहां पर कौन-कौन अधिकारी मौजूद था। उसको लेकर पूछा। वनविभाग के अधिकारियों ने माना की अधिकारियों और कर्मचारियों के काम में चूक होने के कारण आग ने विकराल रूप लिया। डीएफओ ने जांच की बात कही है। ऐसा बताया जा रहा है कि आग डेढ़ बजे करीब लगी और करीब दो से तीन घंटे में आग पर काबू पाया गया।
तेंदुओं का भी होगा रेस्क्यू
चीता प्रोजेक्ट के तहत 28 किलेामीटर 29 करेाड़ की लागत से बाड़ा तैयार किया गया है। यहां पर 22 तेंदुए एनटीसीएल की टीम ने चिन्हित किए थे। जिनमें से 13 तेंदुए पकड़ कर अन्य अभयारण्य क्षेत्र में छोड़ दिए है। अब शेष बचे तेंदुओं के लिए दिल्ली की एनटीसीएल की टीम आएगी उसके बाद ही रेस्कूय किया जाएगा। बाड़े से इसलिए तेंदुए निकाले जा रहे है ताकि वे चीतों को नुकसान नहीं पहुंचा सके।