मंदसौर संसदीय क्षेत्र से एक बार कांग्रेस सरकार में तो तीन बार भाजपा की सरकार में दो सीएम रहे हैं। वहीं एक बार कांग्रेस के सीएम चुनाव (MP Election 2023) भी हारे। सबसे पहले जावरा से निर्वाचित कैलाशनाथ काटजू मुख्यमंत्री रहे। इसके 21 वर्षों के बाद 1978 में जनता दल के कैलाश जोशी के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद जावद से निर्वाचित वीरेंद्र सखलेचा सीएम बने। 1967 में सखलेचा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। 1980 में सुंदरलाल पटवा सीएम बने। वर्ष 1990 में फिर सरकार बनी तो वे सीएम बने।
संसदीय क्षेत्र ने दिए कद्दावर नेता
प्रदेश में भाजपा की सरकार के समय जगदीश देवड़ा, हरदीपसिंह डंग, ओमप्रकाश सखलेचा वर्तमान में भी कैबिनेट मंत्री है पूर्व में देवड़ा के अलावा कैलाश चावला अलग-अलग विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे। वहीं कांग्रेस की सरकार में भारतसिंह, महेंद्रसिंह कालूखेड़ा, सुभाष सोजतिया, नरेंद्र नाहटा, धनश्याम पाटीदार, श्यामसुंदर पाटीदार भी कैबिनेट मंत्री रहे। सरकारों में क्षेत्र के नेताओं को प्रतिनिधित्व मिला है और कद्दावर नेताओं के कारण दोनों दलों का मंदसौर क्षेत्र पर फोकस हमेशा रहा है। यहां स्टार प्रचारकों की सभाएं होती रही है।
डॉ. कैलाशनाथ काटजू पांच साल रहे मुख्यमंत्री
संसदीय क्षेत्र की जावरा विधानसभा सीट (MP Election 2023) से जीतकर विधायक बने डॉ कैलाशनाथ काटजू पांच साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 31 जनवरी 1957 से मार्च 1962 तक मुख्यमंत्री रहे। जावरा में ही उनका जन्म हुआ था। तभी से क्षेत्र को प्रदेश की राजनीति में वर्चस्व रहा है और दोनों दलों के लिए मंदसौर संसदीय क्षेत्र पर हमेशा फोकस रहा है। ये 1962 में भाजपा के लक्ष्मीनारायण पांडे से 1500 वोटों से चुनाव हार गए थे।
कुकड़ेश्वर में जन्मे पटवा दो बार रहे सीएम
जनसंघ व भाजपा की सरकार के समय अविभाजित मंदसौर जिले के कुकडेश्वर में जन्मे सुंदरलाल पटवा दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 20 जनवरी 1980 और 5 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 मुख्यमंत्री रहे। पटवा क्षेत्र में मंदसौर के अलावा मनासा से भी विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बने। हालांकि दोनों ही बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और लंबे समय सीएम नहीं रह पाए।
सखलेचा मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री रहे
प्रदेश के अंतिम छोर की राजस्थान सीमा से सटी जावद विधानसभा से निर्वाचित होने वाले वीरेंद्रकुमार सखलेचा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने व उपमुख्यमंत्री भी रहे। 18 जनवरी 1978 से 19 जनवरी 1980 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। अपने राजनीतिक जीवन में पूरे समय जावद क्षेत्र से ही राजनीति की।