पत्रिका ने नाव में सवार होकर जब चंबल नदी पर माफियाओं द्वारा बनाए गए अवेध रेत खनन के मकड़जाल को न सिर्फ अपनी आंखों से देखा है, बल्कि इसे अपने कैमरे में कैद भी किया है, जिसे देख आप भी प्रदेश की इस विशाल नदी के दोहन पर तरस खा जाएंगे।
चंबल नदी के बीच चल रही नाव और इनमें जनरेटर समेत इंजन और 4 पनडुब्बियां चलने के कारण नदी में प्रदूषण स्तर भी तेजी बढ़ रहा है। यही कारण है कि नदी में लगातार बड़ी मात्रा में मछलियां भी मर रही हैं। प्रदूषण के कारण जलीय जीवों का भी पानी में सांस ले पाना मुश्किल हो रहा है। जिससे लगातार इनकी भी मोतें हो रही हैं।
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गांधीसागर का बैक वाटर जो जिले के संजीव क्षेत्र में आता है, यहां कचहरी पाहट सहित आसपास क्षेत्रों में चंचल के पानी पर नाव में लगी मशीनों व बड़े पाहप डालकर रेत निकाली जा रही है। नाहरगढ़ थाना क्षेत्र में स्थित इस इलाके से रेत निकाली जा रह है। चंबल का यह किनारा मंदऔर जिले में आता है। यहा दिन-रात नदी में बड़ी नाव, पनडुष्बी के के जरिए रेत निकालने का काम माफिया कर रहे है। नदी के गर्भ से पानी के बीच से रेत पाईप से आती है और नाव में जमा होती है। नाव भी इतनी बड़ी की इसमें करीब 10-15 ट्रॉलों तक रेत जमा हो जाती है।
इसके बाद इसे किनारे पर लाकर गाड़ियों में भरकर बेचने के लिए भेजा जाता है। यह नीमच जिले के मनासा क्षेत्र के कुंडला खामखेही में आता है। यहा जेसीबी से नाव से रेत निकालकर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर परिवहन किया जा रहा है। नाव में ही डीजल पाइप चलने के साथ खाना बनाने के लिए गैस-सिलेंडर सहित अन्य संसाधन भी जमा रहते है। नीमच मंदसौर के साथ ही कई जिलो में यहां से रेत का परिवहन कर उसे बेचकर लाखों की अवैध कमाई की जा रही हैं।
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चंबल नदी में नाव के बीच जुगाड़ से मशीनों का इस्तमाल कर रेत खींचने का काम लंबे समय से चल रहा है। मंदसौर के संजीत क्षेत्र की सेना में में नाव चलाकर रेत निकाली जा रही है जो नाव में जमा कर रहेहै। इसके बाद अत्यधिक धीमी रफ्तार से रेत को लेकर यह नाव नीमच जिले की सीमा में जाकर रेत स्टॉक कर रही है। आम लोगों को रेत की ट्रॉली 5 से 6 हजार रुपए में बाजार में मिल रही है। रेत से मोटी कमाई भले ही रेत माफियाओं का यह गिरोह कर रहा है, लेकिन शासन को इससे हर दिन राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।