मंडला

रेल अधिकारी कर रहे है नैनपुर के अस्तित्व के साथ खिलवाड़

अपने स्वार्थ के खातिर रेल सेवा की दी जा रही है बली

मंडलाMar 29, 2022 / 12:38 pm

Mangal Singh Thakur

रेल अधिकारी कर रहे है नैनपुर के अस्तित्व के साथ खिलवाड़

मण्डला/नैनपुर। नैरोगेज रेल प्रणाली में नैनपुर एशिया महाद्वीप की एक पहचान हुआ करता था। नैरोगेज बंद होने के बाद कुछ आश जागी थी कि ब्राडगेज रेल की नई सौगातों के साथ नैनपुर अपनी खोई हुई ख्याति को पुन: हासिल कर लेगा, लेकिन ऐसा हो न सका और आज इस अंचल में ब्राडगेज परियोजना पैसेंजर ट्रेनों के लिये तरस रही है। आज भी गोंदिया जबलपुर के लिए सीधी पैसेंजर ट्रेन की लोग बाट जोह रहे हैं। लगातार अनेक संगठनों के दबाब के बाद मंडला के लिये जो यात्री गाड़ी चलाई जा रही है उसका समय ऐसा है कि वह आज यात्रियों के लिए ही तरस रही है। इसके लिए जितना जबाबदार रेल प्रशासन है। उससे कही ज्यादा इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भी हैं। लिहाजा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के आला अधिकारी अपनी मनमर्जी से मानो इस रेल खंड को संचालित कर रहे है।
नैनपुर के अस्तित्व के साथ खिलवाड़
एक समय था जब नैरोगेज के समय में नैनपुर में हजारों रेल कर्मचारी हुआ करते थे। रेल के सभी विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त हुआ करती थी। किंतु आज न जाने किस साजिश के तहत जो हैं उन्हें भी हटाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार नैनपुर रेल लाबी में जितने रेल कर्मचारियों की आवश्यकता है आज उतने भी नहीं हैं। पैसेंजर लोको पायलट की कमी की मार नैनपुर झेल रहा है। यहां न तो नई नियुक्तियां की जा रही हैं और न ही रिक्त पदों को भरा जा रहा है और तो और जब पैसेंजर ट्रेनों के संचालन के लिए लोको पायलट की आवश्यकता है तब उन्हें साजिश के तहत नैनपुर से स्थानांतरित कर जबलपुर भेजा गया है। इन हालातों में जो लोको पायलट नैनपुर से पैसेंजर ट्रेनों को चलाते थे वे अब जबलपुर से इसे चलाएंगे। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि धीरे धीरे नैनपुर रेल लाबी को समाप्त करने का कुत्सित प्रयास दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है। भविष्य में यदि और स्थानांतरण किये गये तो नैनपुर रेल लाबी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाएगा। जबकि नैनपुर एक प्रमुख जंक्शन है जहां से चारों दिशाओं की यात्री गाडिय़ो के भविष्य में संचालन के कयास लगाए जा रहे है। लेकिन नागपुर में बैठे आला अफसरान नैनपुर के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ कर उसे बौना साबित करने में तुले हुए है।
आखिर छोटी क्यों बन रही है पिट लाईन
नैरोगेज रेल प्रणाली के समय नैनपुर में एक लोको शेड के साथ यात्रीगाडियों के रखरखाव के लिये रेल पिट लाईन हुआ करती थी। जहां रेल के डिब्बों और इंजन की मरम्मत का कार्य रेल कर्मचारी कुशलता से किया करते थे। ब्राडगेज की सौगात के साथ ही भविष्य के मद्देनजर एक रेल पिट लाईन की मांग लगातार क्षेत्र की जनता करती आ रही है। अब बताया जा रहा है कि जो पिट लाईन वर्तमान में बनाई जा रही है वह छोटी है। जो महज पैसेंजर ट्रेनों के रखरखाव तक ही सीमित रह जाएगी। इससे भविष्य में जिन मेल और सुपरफास्ट ट्रेनों का सपना नैनपुर संजोये बैठा है वह अधूरा ही रह जायेगा। रेल पिट लाईन होने से जो मेल एक्सप्रेस गाडिय़ा जबलपुर और गोंदिया में आकर डिटेल हो जा रही है। उनके नैनपुर तक एक्सटेंशन होने की बात यही दब कर रह जायेगी। क्योंकि इनके रखरखाव के आभाव में इनका नैनपुर से संचालन संभव नही हो सकेगा।
स्वार्थ के खातिर रेल सेवा की बली
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारी डीआरएम नागपुर गुड्स ट्रेनों के माध्यम से रेलवे को सर्वाधिक आय देने का प्रमाण पत्र पाकर अपना भविष्य संवार रहे है। सर्वाधिक आमदनी का तमगा पाकर रेलवे मंत्रालय में अपनी रेपुटेशन के खातिर नैनपुर और इस आदिवासी अंचल के हितों की लगातार बलि चढ़ा रहे है। जिसकी पीड़ा के दर्द से अब नैनपुर कराहने लगा है। जबकि ओवर नाईट, चित्रकूट, महाकौशल और अन्य पैसेंजर गाडिय़ों के साथ गोंदिया की महाराष्ट्र एक्सप्रेस, विदर्भ एक्सप्रेस, छिन्दवाड़ा से पेंचवेली और पाताल कोट को नैनपुर से शुरू कर नैनपुर रेल जंक्शन को उसके हक से नवाजा जा सकता है।

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