script50 स्कूलों में नहीं एक भी टीचर, कहीं ऐसे स्कूलों में तो नहीं आपके बच्चे | Not a single teacher in 50 schools | Patrika News
मंडला

50 स्कूलों में नहीं एक भी टीचर, कहीं ऐसे स्कूलों में तो नहीं आपके बच्चे

50 स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं। वहीं आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि जिला मुख्यालय और मुख्यालय से लगे सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या के अनुपात में शिक्षक संख्या अधिक है।

मंडलाSep 02, 2022 / 04:07 pm

Subodh Tripathi

tech1234.jpg

मंडला. आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में बड़ी संख्या में ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जहां विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक ही नहीं है। कई स्कूलों में तो शिक्षकों की संख्या ही शून्य है। ऐसी स्थिति को देखते हुए जिले में एक परिसर एक शाला योजना पिछले शिक्षा सत्र में लागू की गई ताकि अतिरिक्त बचे शिक्षकों को शिक्षकविहीन सरकारी स्कूलों में भेजा जा सके लेकिन पिछले शिक्षा सत्र से शुरू हुई इस योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही के साथ ही लेट लतीफी भी की जा रही है।

जिले में आधा सैकड़ा से भी अधिक स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं। वहीं आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि जिला मुख्यालय और मुख्यालय से लगे सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या के अनुपात में शिक्षक संख्या अधिक है। जानकारी अनुसार देवदरा अंतर्गत बर्राटोला में प्राइमरी स्कूल में मात्र 3 बच्चे थे और जिस पर शिक्षकों की संख्या भी 3 थी। विभाग को जानकारी मिलने के बाद एक शिक्षक को अन्यत्र अटैच किया गया है। इसी प्रकार ग्राम पंचायत बिनैका अंतर्गत प्राइमरी स्कूल बैगा टोला में बच्चों की संख्या वर्तमान में मात्र 5 से 6 है वहीं इन्हें पढ़ाने के लिए दो शिक्षक तैनात किए गए थे। यहां से भी बाद में एक शिक्षक को अन्यत्र अटैच किए जाने की बात कही गई थी। वहीं जिला मुख्यालय से दूर स्थित ग्राम पंचायत साल्हेदण्डा के मिडिल स्कूल में बच्चों की संख्या करीब 130 बताई गई है इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक मात्र सरकारी शिक्षक तैनात किए गए हैं। यहां यह भी बता दें कि इस स्कूल के बच्चों को बैठने के लिए स्कूल भवन तक उपलब्ध नहीं है बच्चे वर्तमान में पंचायत भवन में बैठकर पढ़ रहे हैं। राजनैतिज्ञ प्रभाव, ले-देकर कई शिक्षक मुख्यालय के स्कूलों में वर्षों से जमे हुए हैं।

यह योजना का स्वरूप

एक परिसर एक शाला योजना के तहत 150 मीटर के दायरे में जो सरकारी स्कूल संचालित हैं उन्हें एक साथ मर्ज किया जाना है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी परिसर में दो प्राइमरी, दो मिडिल एक हाई स्कूल संचालित है तो दो प्राइमरी, दो मिडिल स्कूल को मिलाकर एक कर दिया जाएगा और उस परिसर के हाई स्कूल के प्राचार्य को इन सभी प्राइमरी और मिडिल स्कूल का प्राचार्य माना जाएगा और इन्हीं प्राचार्य के मार्गदर्शन, निर्देशानुसार ही सभी शिक्षक अध्यापन कार्य कराएंगे। जिस स्कूल के साथ बाकि स्कूल मर्ज किए जाएंगे उसे एंकर शाला कहा जाएगा। एंकर शाला के प्राचार्य के पास ही मर्ज किए गए स्कूलों के शिक्षकों का रजिस्टर होगा सभी शिक्षक एंकर शाला के प्राचार्य की देखरेख में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ अध्यापन कार्य कराएंगे।

बरती जा रही है लापरवाही

जानकारी अनुसार जिले में अब तक बड़ी संख्या में स्कूलों को मर्ज किया जा चुका है। कई स्कूलों को मर्ज करने की प्रक्रिया लगातार की जा रही है लेकिन इस योजना का मुख्य उद्देश्य पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है।

योजना का प्रमुख उद्देश्य यही है कि एक परिसर एक शाला के तहत जो शिक्षक अतिरिक्त में शामिल हैं, उन्हें ऐसे स्कूल जहां एक भी शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए उपलब्ध नहीं है या फिर बच्चों की संख्या के अनुसार शिक्षकों की संख्या कम हैं तो अतिरिक्त शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में भेजा जाना है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार योजना के स्वरूप का मनमर्जी के अनुसार संचालन कर रहे हैं सिर्फ स्कूलों को मर्ज कर खानापूर्ती की जा रही है, लेकिन अतिरिक्त शिक्षकों को जरूरत के अनुसार स्कूलों में भेजने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

सर्वर समस्या तो कहीं एप संचालन में दिक्कतें एम शिक्षा मित्र में अटेंडेंस लगाने में सरकारी स्कूलों के शिक्षक जमकर पसीना बहा रहे हैं, इसका कारण यह है कि इस एप में ऑन लाईन अटेंडेंस लगाने के संबंध में कई शिक्षकों को पर्याप्त जानकारी ही नहीं है। उच्चाधिकारियों के लगातार दवाब के बाद किसी तरह शिक्षक उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं लेकिन उनका कहना है कि ऑन लाईन उपस्थिति दर्ज कराने में सर्वर की समस्या जा रही है। जिला मुख्यालय में ही कुछ स्कूलों में देखने में आया कि कई शिक्षकों को एक एप को चलाने की समुचित जानकारी नहीं है। कुछ शिक्षकों को यह तक नहीं पता था कि स्कूल आने के समय में ऑन लाईन उपस्थिति तो दर्ज कराना ही है साथ ही स्कूल से जाते समय भी उपस्थिति दर्ज कराना है। वेतन कटने के भय के चलते लगातार शिक्षक इस एप की जानकारी और एप के संचालन में आ रही कठिनाईयों के निदान के लिए मुख्यालय पहुंच रहे हैं।


जिले में ऐसे सरकारी स्कूल जहां शिक्षकों की कमी है इनके संबंध में जानकारी मांगी गई है। ऐसे स्कूल में जहां अतिरिक्त शिक्षक है उन्हें शिक्षक विहीन स्कूलों में भेजने की व्यवस्था बनाई जाएगी।

-कमलेश तेकाम, अध्यक्ष, जिला शिक्षा समिति

एक परिसर एक शाला योजना के तहत स्कूलों को अभी मर्ज किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। अतिरिक्त शिक्षकों को अन्यत्र शिक्षक विहीन स्कूलों में भेजने की पॉलिसी अभी शासन से निर्धारित नहीं है।

-विजय तेकाम, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग मंडला

Hindi News/ Mandla / 50 स्कूलों में नहीं एक भी टीचर, कहीं ऐसे स्कूलों में तो नहीं आपके बच्चे

ट्रेंडिंग वीडियो