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ये कोई आम मिट्टी के गोले नहीं बल्कि ‘बीज बम’ हैं- डॉ. विशाल मेश्राम
मंडला कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. विशाल मेश्राम ने बताया कि, ये कोई आम मिट्टी के गोले नहीं बल्कि ‘बीज बम’ हैं। उन्होंने इन बीज बमों के बनाने कारण बताते हुए कहा कि, दरअसल लगातार घट रहे वनों के क्षेत्रफल और इसके चलते हो रहे वातावरण में बदलाव को देखते हुए वृक्षारोपण की सलाह दुनिया के सभी पर्यावरण विशेषज्ञ दे रहे है। वैसे तो हर साल मानसून के दौरान वृक्षारोपण किये ही जाते हैं, लेकिन उनके अपेक्षा के अनुसार परिणाम नहीं मिल पाते। इस समस्या से निपटने के लिये मंडला कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख विशाल मेश्राम, इन दिनों बड़ी संख्या में बीज बम बनाने में जुट हुए हैं।
सीड बॉल और अर्थ बॉल भी है ‘बीज बम’ का नाम
अकसर लोगों को इस तरह का नाम कुछ अटपटा लग रहा होगा, तो आपको बता दें कि, इस बीज बम को ‘सीड बॉल’ और ‘अर्थ बॉल’ भी कहा जाता है। वर्मी कंपोस्ड खाद, खेत की मिट्टी की मदद से ऐसी बॉल बनाई गई है, जिनमें किसी भी पेड़ के 2 बीज रखे गए हैं। खासौर पर इसमें सामुदायिक वानिकी के अंतरगत आने वाले वृक्ष के बीज जैसे नीम, हर्रा, बहेड़ा, कनाडा पुनीठ का लेख उनआंवला जैसे दीर्घकालिक वृक्षों को बढ़ावा देने का प्रयोग किया जा रहा है।
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कैसे करना है बीज बम का इस्तेमाल?
मानसून शुु होते ही 2-3 बार मौसमी बरसात होने के बाद किसी भी ऐसे स्थान पर जहां वृक्षारोपण करना है, वहां इन बीज बमों को फैंकना है। इसके बाद आगे का पूरा काम ये बॉल खुद कर देगी। पानी मिलते ही इस बॉल के बीज अंकुरित हो जाएंगे और इसकी केंचुआ खाद और मिट्टी इन्हें बड़े होने में मदद करेगी। इतना ही नहीं अगर आप घर में इन्हें लगाना चाहें, तो उसके लिये सिर्फ आपको करना ये है कि, इसे बस वहां रख दें, जहां आपको पौधा लगाना हो। ये वृक्षारोपण का सबसे आसान तरीका है और नर्सरी में बीज लगाने, पौधे की देखरेख करने और फिर बाद में गड्ढे खोद कर रोपने से लोगों को राहत देगा।
दावा- ‘बीज बम से लौटेगी धरती की हरियाली’
मंडला कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विशाल मेश्राम के मुताबिक, इसे बीज बम नाम इसलिए दिया गया है, ताकि अटपटा नाम होने की वजह से ये लोगों के बीच आकर्षण का कारण बने। क्योंकि, अकसर लोग आकर्षण का केन्द्र बनने वाली चीज के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि, विकास की अंधी दौड़ में लगातार जंगल घटते जा रहे हैं। हमें वृक्ष बढ़ाने की जरूरत है, जो ऑक्सीजन हमें प्राकृतिक रूप से मिलती थी वो मिलती रहे। यही वजह है कि, बारिश भी अनियमित होने लगी है, यही कम उत्पादन और बिगड़ती गुणवत्ता का कारण बन रहा है। यही कारण है कि, बीज बम के जरिये एक बार फिर हरियाली बढ़ाने का तरीका खोजा गया है।
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कैसे बनता है बीज बम?
डॉ. विशाल मेश्राम ने बताया कि, बीज बम बनाने का तरीका काफी आसान है। इसके लिए खेत की उबजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है। खेत की मिट्टी, पानी और खाद मिलाकर गोले तैयार किये जाते हैं। इन गोलों में बीज डालकर सूखने के लिये रख दिये जाते हैं। ये दो तरीके से काम करता है या तो उसको फेंका जाता है फिर जहां वृक्षारोपण करना, वहां इसको रख दिया जाता है। मानसून आने के पश्चात जब इसमें नमी, तो उसमें मौजूद बीज का अंकुरण होगा, जिससे पौधा तैयार हो जाएगा। विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, इस प्रयास से अब तक 70 फीसदी सफलता मिली है।
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