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video story : बॉटल में इंडिया गेट ने हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम कराया दर्ज

बॉटलिंग आर्ट में माहिर त्रिलोक सिंधिया को एक और उपलब्धि

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मंडला. कहते हैं प्रतिभा पहचान की मोहताज नहीं होती है, उनके कार्य धीरे-धीरे अपनी पहचान बना लेेते हैं। ऐसे ही हमारे जिले के त्रिलोक सिंधिया हैं जिन्होंने 12 साल की उम्र से अपनी कला को तरासने का कार्य किया। आज उनकी कलाकृति को हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है।

हाल ही में बुक डाक द्वारा त्रिलोक को प्राप्त हुई जिसे कलेक्टर के माध्यम से प्राप्त किया। जानकारी के अनुसार बॉटलिंग आर्ट में माहिर त्रिलोक सिंधिया ने कांच की बॉटल को बिना क्षती पहुंचाए बांस से इंडिया गेट कांच की बोतल के अंदर बनाया है। त्रिलोक सिंधिया ने बताया कि बचपन से ही उन्हे बांस में कुछ ना कुछ बनाने का शौक था और बनाते थे। लगभग 12 वर्ष की आयु से त्रिलोक ने बांस से मंदिर, टेबिल लैम्प, जहाज और अनेक कलाकृतियां बनाते थे। लेकिन उन कलाकृतियां को चूहा कतर लिया करते थे। त्रिलोक ने बताया कि उस समय उनके घर में लैंप जला करता था तो उनका ध्यान लेम्प में गया। सोचा की कुछ किया जाए। तो लेम्प की कांच के अंदर उन्होंने जहाज बनाया। फिर उनकी नजर कांच की सोस की बॉटल पर पड़ी तो सोचा की इसमे कुछ बनाया जाए। सब से पहले काँच की बॉटल के अंदर जहाज बनाया। फिर अनेक कलाकृतियां बनाई। कांच की बॉटल के अंदर ही इंडिया गेट, जहाज, चारपाई, रानी किला, कोरोनावायरस, घर, साईकल घड़ी, रिक्शा, आई लव मीय इंडिया, केदारनाथ मंदिर सहित अनेक कलाकृतियां बनाई।

त्रिलोक सिंधिया को इंडिया गेट के कारण हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला। त्रिलोक ने हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की बुक को डॉ सलोनी सिडाना कलेक्टर से प्राप्त की। पहले भी त्रिलोक सिंधिया को गणतंत्र दिवस 2024 में पुलिस ग्राउंड पर मंत्री संपतिया उईके, डॉ सलोनी सिडाना कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक ने प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया है। यह सम्मान कांच की बॉटल के अंदर अयोध्या का राम मंदिर बनाने के उत्कृष्ट कार्य करने को लेकर किया गया था।