वैज्ञानिकों ने भी लिया संज्ञान में
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ विशाल मेश्राम ने भी मामले को संज्ञान में लिया और जांच पड़ताल के बाद जानकारी दी कि पोल्ट्री फॉर्म में लगभग एक माह पूर्व 80 कड़क नाथ के चूजे पाले गए थे जो कि 200 से 300 ग्राम के हो गए हैं। पिछली रात को अचानक पड़ी ठंड के कारण चूजों की मौत हुई है। मेश्राम ने बताया कि ठंड से बचने के लिए स्वाभाविक रूप से चूजेे एक कोने में एकत्रित होकर एक दूसरे के ऊपर चढऩे लगते हैं। जिससे कमजोर चूजेे दब जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। यही कारण पोल्ट्री फार्म में भी देखने को मिला है। मेश्राम ने बताया कि संचालक अखिल पटेल से बात करके उपाय बताए गए हैं। फिलहाल 200-200 वाट के बल्ब लगाने व हीटर की व्यवस्था करने की सलाह दी गई है। ठंड में चूजे का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है।
नहीं मिले बर्ड फ्लू के लक्षण
इस संबध में पशुचिकित्सा सेवाएं उपसंचालक एमएल मेहरा का कहना है कि सूचना मिलते ही टीम भेज दी गई थी। जांच में ठंड से मरने की जानकारी लगी है। पोल्ट्री फार्म में अन्य चूजे भी हैं जिनमें बर्ड फ्लू के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं। बाकी चूजे स्वस्थ हैं। किसी प्रकार की चिंता करने की बात नहीं है। मुर्गी पालकों से अपील की गई है कि ठंड के समय विशेष ध्यान दें। जहां चूजे हैं उस स्थान को चारों तरफ से पैक करके रखें व अंदर भी पर्याप्त गर्मी की व्यवस्था बनाई जाए।