मैनेजमेंट मंत्र

इस एक बिजनेस में आप रातोंरात हो सकते हैं मालामाल, ऐसे शुरु करें

स्टार्टअप वर्ल्ड असीमित संभावनाओं से भरा हुआ है। फैशन, टेक्नोलॉजी, फूड, एग्रीकल्चर, एजुकेशन, फाइनेंस सहित कई सेक्टर्स यंग एंटरप्रेन्योर्स नए आइडियाज के साथ सक्सेस हो रहे हैं।

Feb 22, 2019 / 05:02 pm

सुनील शर्मा

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स्टार्टअप वर्ल्ड असीमित संभावनाओं से भरा हुआ है। फैशन, टेक्नोलॉजी, फूड, एग्रीकल्चर, एजुकेशन, फाइनेंस सहित कई सेक्टर्स यंग एंटरप्रेन्योर्स नए आइडियाज के साथ सक्सेस हो रहे हैं लेकिन एक ऐसा सेक्शन भी है जो एंटरप्रेन्योर के इंतजार में है। किड्स वर्ल्ड, जहां फैशन और ऐसेससरीज के सेक्टर में विशेषकर इंडिया में काम करने वाले वाले स्टार्टअप की संख्या कुल स्टार्टअप की तुलना में एक प्रतिशत से भी कम है। जबकि ग्लोबली किड्स फैशन और एक्सेसरीज का मार्केट तेजी से ग्रो कर रहा है। इंडिया में बेहतर होती सोशल-इकोनोमिक ग्रोथ के बाद अब मेट्रो सिटीज के अलावा टियर-2 और टियर-3 सिटीज में पेरेंटस किड्स फैशन को लेकर ज्यादा सजग हो रहे हैं। यह सेक्टर यंग एंटरप्रेन्योर के लिए आने वाले दिनों में हॉट केक साबित हो सकता है।

इंवेस्टर भी हो रहे हैं अट्रैक्ट
इंडिया में किड्स फैशन सेक्टर में पॉजिटिव ग्रोथ की संभावनाओं ने अब इंवेस्टरों को भी लुभाना प्रारंभ कर दिया है। बेबी प्रोडेक्ट रिटेलर फर्स्टक्राय में जापानी इंवेस्टर सॉफ्टबैंक करीब 2800 करोड़ के निवेश की तैयारी कर रहा है। इंडियन किड्स फैशन स्टार्टअप में यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा। पुणे बेस्ड फर्स्टक्राय की शु्रुआत वर्ष 2010 में हुई थी। कम्पनी को उम्मीद है कि इस इंवेस्टमेंट के बाद वह ऑनलाइन व ऑफलाइन और अधिक मजबूत होगी।

इंवेस्टमेंट है अधिक
इंडस्ट्रीज मैन या वुमन फैशन वियर या प्रोडेक्ट से रिलेटेड हो या फिर किड्स सेक्टर की, किड्स सेक्टर के स्टार्टअप में भी मुख्य चैलेंज इंवेस्टमेंट है। इसलिए मैन्यूफैक्चरिंग, रिटेल या अन्य किसी सेक्टर के चुनाव से पहले आवश्यकता है उस पर रिसर्च की। आप सबसे पहले उन कंपनियों के मॉडल की स्टडी करें जो कि किड्स प्रोडेक्ट के रिटेल और मैन्यूफेक्चर सेक्टर में काम कर रही है। इनमें फस्र्टक्राय के अलावा मम्माअर्थ, बेबीचक्र जैसी इंडियन कंपनियां सम्मिलित हैं। किड्स सेक्टर से जुड़ी कंपनियों पर रिसर्च करने वाली एजेंसियों के अनुसार यदि आप रिटेल सेक्टर से शुरुआत करना चाहते हैं तो आपको कम से कम 5 लाख रुपए की आवश्यकता होगी। इसमें भी प्रोडेक्टर की मिनमिम रेंज ही ले पाएंगे।

लोकल ब्रांड की डिमांड
वर्तमान में जो किड्स प्रोडेक्ट की कंपनियां ऑनलाइन या ऑफलाइन काम कर रही हैं, उनके पास भी मौजूद किड्स प्रोडेक्ट की रेंज में विदेशी ब्रांड ही मौजूद है। जो इंडियन मिडिल क्लास फैमली को खरीदारी करने से पहले सोचने पर मजबूर करते हैं। यदि आप इंडियन मिडिल क्लास को लो रेंज वाले किड्स वियर या प्रोडेक्ट से जोड़ पाए तो यह बेनिफिशियल होगा क्योंकि इंडियन किड्स प्रोडेक्ट के मार्केट में लोकल ब्रांड अब तक खास जगह नहीं बना पाए हैं। किड्स फैशन सेक्टर की विशेष बात यह है कि यह जितना ऑनलाइन पॉपुलर है उतना ही ऑफलाइन भी। इसलिए फस्र्टक्राय जैसी कंपनियां आने वाले दिनों में देश के 125 शहरों में 300 से अधिक स्टोर खोलने की तैयारी कर रही हैं।

बॉयज और गर्ल्स के सेक्शन में किसे चुनें
किड्स वियर और एक्सेसरीज के मार्केट स्पेशली वियर सेक्शन बॉयज डॉमिनेटेड रहा है। रिसर्च के अनुसार गर्ल्स वियर के सेक्शन में रेंज ग्रोथ बीते दो वर्षों में देखी गई है। इसलिए यंग एंटरप्रेन्योर के लिए गर्ल्स वियर का सेक्शन एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है। तेजी से अर्बनाइज होते इंडिया में लड़कियों के प्रति पॉजिटिव होती सोच भी गर्ल्स वियर सेक्टर के फायदेमंद साबित हो रही है। हालांकि यह सेक्शन चैलेंजिंग भी है क्योंकि गर्ल्स वियर के फैशन में बदलाव बॉयज वियर की तुलना में बहुत तेजी से होता है।

14 बिलियन डॉलर का होगा किड्स वियर का मार्केट
ग्लोबली इंडियन किड्स फैशन का मार्केट दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में तेजी से बढ़ा है। बार्केले के अनुसार वर्ष 2018 में इंडियन किड्स फैशन के मार्केट में आश्चर्यजनक तौर पर करीब 30 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई। इंडिया में किड्स फैशन का सेक्टर वर्ष 2018 में करीब 5.5 बिलियन डॉलर का रहा, जबकि वर्ष 2022 तक इंडियन किड्स फैशन का बाजार 14 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है। मांग के अनुसार यंग एंटरप्रेन्योर के लिए एसेसरीज सेक्शन के भी ऑप्शन खुले हैं।

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