आंखों की रोशनी जाने के बाद प्रांजल ने ब्रेल लिपी के जरिए पढ़ाई जारी रखी। मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय में पीएचडी भी की। उन्होंने 2016 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 773वीं रैंक हासिल की थी जहां उन्हें भारतीय रेलवे में नौकरी के लिए चुना गया परन्तु रेलवे के नियमों के चलते उनकी दृष्टिहीनता आड़े आ गई और वे जॉब नहीं पा सकी।
पढ़ाई के दौरान उन्हें अपने आस-पास के लोगों से कई ताने सुनने को मिलते थे, कई लोग उनकी आलोचना भी करते थे, पढ़ाई में भी कई प्रकार की दिक्कतें आई परन्तु प्रांजल ने हार न मानते हुए उन सभी कठिनाईयों का सामना किया और अपने चुने हुए लक्ष्य को आखिरकार पा ही लिया।
प्रांजल कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही समाज के लिए कुछ करने का सपना देखती थी, इसीलिए उन्होंने सिविल सर्विस को चुना। इसके लिए उन्होंने लगातार पढ़ाई जारी रखी और अंततः सफलता हासिल कर ली। वह अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता तथा अपने पति को देती है।