लिख चुकी है बच्चों की किताब
यही नहीं, वह उस कॅरियर को भी फॉलो नहीं करना चाहती थीं, जो उनके पिता व परिवारवाले चाहते थे। वह पर्यावरण विज्ञान और जियोग्राफी पढ़ रही थीं, मगर उनका आकर्षण धीरे-धीरे वन्यजीव संरक्षण की ओर होने लगा। वह इसमें अपनी रुचि को नहीं दबा सकीं। इसके बाद उन्होंने येल और फ्लोरिडा जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से बीएस और ड्यूक विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
कृति के मुताबिक उन्हें बहुत सारी अलग-अलग चीजें करने का अवसर मिला, जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। उन्होंने राघव के.के. के साथ बच्चों की पुस्तक का सह-लेखन भी किया। पिछले 20 सालों से कृति देश में अपने अलग-अलग शोधों पर काम कर रही हैं। उनकी पहली परियोजना 2002 में कर्नाटक में थी, जहां उन्होंने लोगों के स्वैच्छिक पुनर्वास और आजीविका संबंधी बातों का अध्ययन किया। वर्तमान में ‘वाइल्डसेव’ नामक एक परियोजना पर काम कर रही हैं। उन्होंने भारत, ऑस्ट्रेलिया,ब्रिटेन और अमरीका के 100 से अधिक वैज्ञानिकों से प्रेरणा ली है, जो वन्यजीव के बेहतरी के लिए प्रयास करते हैं और मानव गतिविधियों को प्रभावित करने का अध्ययन करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
कहती हैं- ‘लोगों को लगता है कि आपको संरक्षण में होने के लिए जीव विज्ञान का अध्ययन करने की आवश्यकता है, लेकिन अगर आप गणित, सांख्यिकी, भूगोल, अर्थशास्त्र में अच्छे हैं, तब भी इस काम को कर सकते हैं। इन विषयों में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने से पहले आपको स्वयंसेवक के तौर पर काम करके अनुभव इकट्ठा करना होगा।’