जब अमरीका आए, तब उनके पास महज 500 डॉलर थे। उन्हें रोजाना के खर्च में पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा। ऐसे में उन्होंने पढ़ाई के बाद वाईएमसीए में बर्तन साफ करने का काम शुरू कर दिया। इस काम में उन्हें एक घंटे के 1.20 डॉलर मिलते थे।
उन्होंने 1971 में यूआईयूसी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। शाहिद ऑटोमोटिव प्रोडक्शन कंपनी फ्लेक्स-एन-गेट में इंजीनियरिंग डायरेक्टर के पद पर जॉब करने लगे। फिर उन्होंने कारों के लिए कस्टमाइज्ड बम्पर्स बनाना शुरू किया। इस काम में उन्होंने खुद की बचत से 16 हजार डॉलर और बैंक लोन लेकर 50 हजार डॉलर लगाए।
उनकी शुरुआत छोटी थी, लेकिन व्यापार में बड़ी सफलता मिली। बाद में उन्होंने फ्लेक्स-एन-गेट को खरीदा। यही नहीं, वह अमरीका की नेशनल फुटबॉल लीग की एक टीम जैक्सनविल जगुआर के मालिक भी हैं, जो उन्होंने 2012 में खरीदी थी। दरअसल, शाहिद को लाभ कमाने का सबक बचपन में ही मिल गया था। उनके पिता ने उन्हें बचपन में ही विनम्र रहने के साथ मुनाफा कमाने का सबक सिखाया।
बचपन में वह रेडियो बनाकर बेचा करते थे। यहां तक कि वह अपने दोस्तों को कॉमिक्स किराए पर देकर भी पैसे कमा लेते थे। अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ता के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर आपमें दृढ़ संकल्प और कभी नहीं हारने की भावना है तो आप असंभव को भी संभव कर सकते हैं। स्थिति कितनी भी मुश्किल हो, अगर आपके पास हार नहीं मानने की शक्ति है तो जीत आपकी ही होगी।