मैनेजमेंट मंत्र

G.R.Gopinath – रिटायरमेंट के बाद किराए पर लिया हेलिकॉप्टर और बदल दी सैंकड़ों की किस्मत

एक आर्मी ऑफिसर के रूप में कॅरियर स्टार्ट कर एयर डेक्कन जैसी बड़ी एयरलाइन स्थापित करने वाले गोपीनाथ की कहानी पूरी तरह से फिल्मी अनुभव होती है।

Aug 03, 2018 / 04:53 pm

सुनील शर्मा

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कहते है कामयाबी पाने की कोई उम्र नहीं होती। इसी कहावत को चरितार्थ किया है एयर डेक्कन के फाउंडर जी.आर. गोपीनाथ ने। एक आर्मी ऑफिसर के रूप में कॅरियर स्टार्ट कर एयर डेक्कन जैसी बड़ी एयरलाइन स्थापित करने वाले गोपीनाथ की कहानी पूरी तरह से फिल्मी अनुभव होती है लेकिन यह कहानी सच है।
मॉडेस्ट बैकग्राउंड से आने वाले एविएशन कंपनी एयर डेक्कन के फाउंडर जी. आर. गोपीनाथ ने खुद को बहुमुखी व्यक्तित्व के रूप में स्थापित कर लिया है। वह कम्फर्टेबली डिफरेंट रंग-ढंग में ढल गए। मसलन, एक आर्मी ऑफिसर, इंडिया के लीडिंग बिजनेसमैन, पॉलिटिशियन, ईको-फ्रेंडली फार्मर और वेल नोन ऑथर। कर्नाटक के हासन जिले के गांव गौरूर में १९५१ में जन्में गोपीनाथ के पिता स्कूल टीचर थे। गोपीनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बीजापुर स्थित सैनिक मिलिट्री स्कूल से की। फिर उन्होंने एनडीए एंट्रेंस एग्जाम क्लीयर किया। वह इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पासआउट हुए।
इसके बाद वह भारतीय सेना में अधिकारी नियुक्त किए गए। उन्होंने कैप्टन की रैंक हासिल की। आर्मी में आठ साल के अपने कार्यकाल के दौरान १९७१ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर भी लड़ा। गोपीनाथ कुछ नया करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने आर्मी से जल्दी ही रिटायरमेंट ले लिया। उन्हें ६५०० रुपए की ग्रेच्युटी मिली थी। वह गांव वापस आ गए और यहां आकर उन्होंने विभिन्न तरह के काम किए। उन्होंने ईकोलॉजिकल सस्टेनेबल सेरिकल्चर फॉर्म की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने एनफील्ड की डीलरशिप ली और हासन में एक होटल भी खोला।
वह अब कॅरियर में उड़ान भरना चाहते थे और उनके जीवन में टर्निंग पॉइंट १९९५ में विमान सेक्टर से आया। सेना के एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने एक हेलिकॉप्टर लीज पर लिया और उसे किराए पर देने लगे। फिर उन्होंने एविएशन कंपनी के लिए लाइसेंस खरीदा और उसके लिए पूंजी जुटाई। इसके साथ बाद उन्होंने लो-कॉस्ट एयरलाइन एयर डेक्कन की शुरुआत की। यहां से वह सफलता के शिखर की ओर बढ़ते गए। आगे जाकर २००७ में एयर डेक्कन किंगफिशर एयरलाइंस के साथ मर्ज हो गई। उन्होंने लेखन और राजनीति में भी हाथ आजमाया। गोपीनाथ के कॅरियर से सबक मिलता है कि एंटरप्रेन्योर बनने की कोई उम्र नहीं होती।

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