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Motivational Story : नौसिखिया होना बुरा नहीं, खुब को व्यक्त करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए : शेखर कपूर

जब मैंने अपनी पहली फिल्म मासूम बनाई थी तो मुझे नहीं पता था कि एडिट-रूम क्या होता है? साउंड पॉजीटिव से लेकर साउंड नेगेटिव क्या होती है, मुझे नहीं पता। पहले किसी का असिस्टेंट भी नहीं रहा था और न ही फिल्म-मेकिंग पर कोई किताब पढ़ी थी।

Dec 26, 2018 / 07:46 pm

जमील खान

Shekhar Kapoor

जब मैंने अपनी पहली फिल्म मासूम बनाई थी तो मुझे नहीं पता था कि एडिट-रूम क्या होता है? साउंड पॉजीटिव से लेकर साउंड नेगेटिव क्या होती है, मुझे नहीं पता। पहले किसी का असिस्टेंट भी नहीं रहा था और न ही फिल्म-मेकिंग पर कोई किताब पढ़ी थी। हर किसी का कहना था कि फिल्म की स्क्रिप्ट कसी नहीं हुई है और नाटकीयता के तत्व भी कमजोर है। अच्छा ही हुआ कि मैंने किसी की नहीं सुनी। बस, एक कहानी जो मुझे कहनी थी, वह पूरी शिद्दत के साथ कही। नौसिखिया होने को मैं बुरा नहीं मानता, बस आपमें खुद को व्यक्त करने की इच्छा होनी चाहिए।

एक एडवेंचर की तरह होता है जीवन
मैं नहीं मानता कि कॅरियर कोई जैसी कोई चीज होती है, जिसे अगर आप एक बार हासिल कर लेते हैं तो फिर अपनी बाकी उम्र उसे ढोते रहते हैं! मेरे लिए यह एक एडवेंचर की तरह है, जिसमें आप कई तरह की चीजें करते रहते हैं, जिनमें कि आपको जीने की वजह मिलती रहें। यही वजह है कि 24 वर्ष की उम्र में मैंने लंदन में अपनी जमी-जमाई चार्टर्ड अकाउंटेड की नौकरी छोड़ दी और जिंदगी को एक एडवेंचर की तरह लिया और इस सफर में मैंने अब तक कई काम किए, फिल्में बनाना भी उनमें से एक है। मैंने जिंदगी को जीभर कर जिया है।

जब मिलते हैं दिल से दिल
किसी ऐसे शख्स तक पहुंचिए, जिसके लिए कि आपको लगता है, उसे गले लगाने या कि मदद की जरूरत है और फिर आपको पता चलेगा कि खुद आपको इसकी कितनी सख्त जरूरत है। कहने का मतलब है कि आप तब तक कुछ नहीं कर सकते, जब तक यह नहीं समझते कि दूसरों को मदद की कितनी जरूरत है। इंसानी जीवन इसी तरह का है। दूसरों के लिए मदद का हाथ बढ़ाइए और खुद आपको वह मदद हासिल होती चली जाएगी जो खुद आपके लिए जरूरी है। दूसरों से अलग-थलग रहकर खुद से घुल-मिल नहीं सकते और जीवन का असली आनंद आपसे छूटता जाता है।

छोड़ दीजिए खुद से लडऩा
खुद को साबित करने जैसी सनक लेकर मत चलिए। दूसरों की आपसे क्या अपेक्षा है, इस पर ध्यान मत दीजिए। जीवन में कुछ स्थायी है तो वह है- अनिश्चितता। परिवर्तन को स्वीकार कीजिए, तनाव से दूर रहेंगे। खुद को यकीन दिलाइए कि हर बदलते हुए क्षण के साथ आप बदल रहे हैं।

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