महराजगंज . एक तरफ देश में एनआरसी का मुद्दा गरमाया हुआ है वहीं दूसरी तरफ नेपाल सीमा के भारत स्थित दो स्कूलों में नेपाली नागरिक बाकायदे प्रवंधक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान हैं। नेपाल के ये दोनों महानुभाव कोई मामूली लोग नहीं हैं, बल्कि नेपाली राजनीति के असरदार और नामचीन लोग हैं। सवाल उठता है कि नियमतः ऐसी कोई व्यवस्था है कि नेपाली नागरिक भारत के किसी संस्था का पदाधिकारी हो सकता है या ऐसे लोग दोहरी नागरिकता धारण किए हुए हैं। जानकारों का कहना है दोनों ही स्थितियां गलत और नियम विरूद्ध है।
ताजा मामला नेपाल सीमा पर जिले के ठूठीबारी स्थित राधा कुमारी इंटर कालेज का है जहां के प्रवंध समित का चुनाव संपन्न हुआ। दस सदस्यीय कालेज के प्रवंध समिति में 6 सदस्यों का मत पाकर नेपाल के पूर्व गृहराज्यमंत्री व वर्तमान सांसद देवेंद्र राज कंडेल अध्यक्ष पद के लिए विजयी हुए जबकि मंत्री पद पर नेपाल के ही अनिल राज कंडेल को विजयी घोषित किया गया। भारत के संविधान और नेपाल भारत के 1950 के मैत्री संधि में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि नेपाल का कोई नागरिक भारत के किसी संसथान में पदाधिकारी हो सकता है। यह व्यवस्था केवल नेपाल के गोरखाओं पर लागू है जो भारत के गोरखा रेजीमेंट में सैनिक हो सकते हैं।
अब सवाल उठता है कि तो फिर जिले के उच्च प्रशासन के देख रेख में संपन्न हो रहे इस चुनाव में ऐसा कैसे संभव हो रहा है। इसके जवाब में ठूठीबारी कसबे के एक व्यक्ति का कहना है कि देवेंद्र राज कंडेल की नागरिकता ठूठीबारी से भी है। इस वजह से उनके इस स्कूल के प्रवंधक होने पर कोई कानूनी अड़चन नहीं पैदा कर सकता। लेकिन यह भी सर्वविदित है कि देवेंद्र राज कंडेल नेपाल के भी नागरिक हैं। नेपाल के नागरिक होते हुए ही वे वहां चुनाव लड़ते हैं। पिछली सरकार में वे नेपाल सरकार के गृहराज्य मंत्री थे और वर्तमान में नेपाल के नवलपरासी जिले से सांसद हैं।
इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षक अशोक सिंह का कहना है कि विद्यालय के सोसायटी रजिस्टेशन में ऐसी व्यवस्था होगी तभी ऐसा होता चलाया है। इसमें डीआईओएस कार्यालय की कोई भूमिका नहीं है।
केवल नेपाल सीमा के ठूठीबारी में ही नहीं,सिद्धार्थनगर जिले के बढ़नी के गांधी आर्दश इंटर कालेज में भी प्रवंध समिति की ऐसी ही व्यवस्था चल रही है। इस स्कूल प्रवंधक भी नेपाल के नागरिक हैं और वे भी नेपाल राजनीति के बड़ी हस्ती हैं। इस स्कूल के बारे में कहा जाता है कि आजादी वक्त इस स्कूल की नींव नेपाल के कृष्णानगर के शाह परिवार के गया प्रसाद शाह ने रखी थी और तभी से स्कूल का प्रवंधन उसी परिवार के हाथ में चला आ रहा है। लेकिन है तो यह गैरकानूनी ही। आखिर नेपाल का नागरिक कैसे यह अधिकार हासिल कर सकता है? इसका जवाब यही है कि वे भी भारत के ही नागरिक हैं। यदि नेपाल के इतने बड़े बड़े लोग दोहरी नागरिकता धारण कर दोहरा लाभ हासिल कर रहे हैं तो सवाल उठता है कि नेपाल सीमा पर एनआरसी कानून जब कभी भी लागू हुआ, सफल होना क्या आसान होगा?