मालूम हो कि, इस वक्त शादी विवाह का सीजन है। ऐसे में रूपयों की मांग बढ़ जाती है और ये कोई पहली बार नहीं हो रहा और न ही अप्रत्याशित है। बावजूद इसके बैंक इसे मैनेज करने में विफल रहे। एटीएम और बैंकों के खाली रहने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के बयान कि “यह अस्थाई है, जल्दी ही दूर हो जाएगा”-पर लोगों ने तल्ख टिप्पणी की है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विरेंद्र चौधरी ने कहा है कि, नोट की किल्लत दरअसल सरकार के नोटबंदी के फैसले से उपजी स्थाई समस्या है। इसका दंश मध्य वर्ग और गरीबों को झेलना ही पड़ेगा। कहा जेटली के बयान का क्या? खुद प्रधानमंत्री ने आंख में आंसू भरकर इस समस्या के समाधान के लिए 50 दिन का समय मांगा था। कहां हुआ समाधान। नोटबंदी के हर दिन मध्यम और गरीब जरूरत मंदों को दस पाच हजार रूपयों के लिए बैंकों पर जूझना पड़ रहा है।
वहीं सपा के पूर्व विधायक विनोद तिवारी का कहना है कि, अफसोस है कि देश व्यापी नोट की किल्लत के बीच केंद्र सरकार मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में “अपने”आरोपियों के बरी हो जाने पर देश भर में घूम-घूम कर जश्न मना रही है। उन्होंने कहा कि, देश की जनता इस बात पर भी गौर कर रहा है कि फैसला सुनाने वाले जज ने फैसला सुनाने के बाद स्तीफा क्यों दे दिया?
पूर्व विधायक ने कहा कि, वित्त मंत्री नोट की किल्लत के बाबत कहते हैं कि यह अस्थाई है वहीं आर्थिक मामलों के सचिव कहते हैं कि 500 के नोट पाच गुना छापेगी सरकार।कहा कि अब वित्त मंत्री और आर्थिक मामलों के सचिव दोनों में सच कौन है? सरकार नोटबंदी से उपजी समस्या को छिपा रही है। सारा देश नोट की किल्लत से तबाह है। एक साथ आठ राज्यों के बैंक और एटीएम में नोट की किल्लत बड़ी बात है। यह आर्थिक आपातकाल है।
नोटबंदी को लेकर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप की बात छोड़ दें तो यहां नोट की किल्लत की सच्चाई बड़ी भयावह है।जिला मुख्यालय के विभिन्न बैंको के सभी 16 बैंक लगातार खाली चल रहे हैं। जिस एटीएम में थोड़ा बहुत पैसा रह भी रहा है तो कुछ ही देर में वह ड्राई हो जा रहा है। जरूरतमंद इस एटीएम से उस एटीएम की ओर भाग रहा है। मजे की बात यह है कि बैंक भी उनकी जरूरते नही पूरी कर पा रहा है।बैंको की हालत यह है कि वहां दस पाच हजार रूपए के लिए भी मारा मारी है। यह हाल जिले के कोने कोने का है। बुधवार को फरेंदा क्षेत्र के 70 वर्षीय राम दुलार की हालत देखने लायक थी। उसके नातिन की शादी है।
50 हजार रूपए के लिए वह अपने खाताधारी बैंक का चक्कर लगाते लगाते थककर चूर हो गया। बैंक वाले उसे आज कल लटका रहे हैं। आज उसके आंख में आंसू भर आया। रूंआसे हुए उसने आज भी बैंक से नाउम्मीदी जताई। भिटौली क्षेत्र के मनीष ने बताया कि, वह दस किमी दूर से इस लिए जिला मुख्यालय आया कि किसी न किसी एटीएम पर पैसा जरूर मिल जाएगा, लेकिन यहां तो सबके सब खाली डब्बा है। जरूरत मंद रामसरन,खुमारे,ललिता देवी,आरती,कृष्णा आदि सैकड़ो की संख्या में जरूरतमंद दो दिनों से बैंक और एटीएम का चक्कर लगा रहे हैं और शाम को खाली हाथ वापस घर लौट जाते हैं।
एटीएम हो या बैंक दोनों जगहों पर रूपयों के किल्लत के बाबत कोई भी जिम्मेदार मुंह खोलने को तैयार नहीं है। लीड बैंक के मैनेजर का तबादला हो गया है। दूसरा अभी आया नहीं वहीं एसबीआई के मुख्य शाखा के प्रबंधक मोहम्मद अफजल का कहना है कि, बैकों को प्रयाप्त नगदी नहीं मिलने से एटीएम में पैसे की कमी हो जा रही है। समस्या के समाधान का प्रयास जारी है।
by यशोदा श्रीवास्तव