ये किए गए थे दावे खकरामठ और मदन सागर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए थे। कहा जा रहा था कि आने वाले दिनों में मदन सागर सरोवर का रंगरूप बदला नजर आयेगा। यहां फूल, फुलवारी, बाग, बगीचे होंगे, मदन सागर को गंदगी से सुरक्षित रखने के लिये सरोवर के चारों ओर बाउण्ड्री का भी निर्माण होगा। खास बात यह है कि ऐतिहासिक धरोहर खकरामठ तक जाने के लिये किसी को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए मदन सागर में खकरामठ तक सेतु का निर्माण होगा। हालांकि, एक साल का लम्बा समय निकल जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुयी है। उसमें जरा भी बदलाव नहीं आया है। इससे लोगों की उम्मीदें अब टूटने लगी हैं।
चार करोड़ रुपये का था प्लान मदन सागर के स्वरूप को बदलने और सैलानियों को आकर्षित करने की दृष्टि से विकसित करने पर चार करोड़ रूपये की धनराशि खर्च किए जाने की घोषणा तब की गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा मदन सागर के कायाकल्प को लेकर एक प्रपोजल शासन के पास भेजा गया था। दावा किया गया था कि स्वीकृति मिलते ही मदन सागर के साथ ऐतिहासिक कीरत सागर सरोवर के सुंदरीकरण पर भी भारी, भरकम धनराशि खर्च की जायेगी। इस तरह की घोषणाओं के बावजूद कोई काम शुरू नहीं हो सका।
तालाब के बीच में बना है खकरामठ मदन सागर के बीच में ऐतिहासिक धरोहर खकरामठ स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिये लोगों को अभी बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तब कहा जा रहा था कि आने वाले दिनों में ऐतिहासिक धरोहर तक पहुंचने के लिए लोगों को किसी तरह की कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस योजना को बने एक साल बीत जाने के बाद भी कहीं कुछ नहीं हुआ है। मदन सागर कल जैसा था, आज भी नहीं वैसा ही है। गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो की महोबा से कोई विशेष दूरी नहीं है। खजुराहो जाने वाले तमाम देशी व विदेशी सैलानी महोबा होकर ही खजुराहो जाते हैं। महोबा में भी तमाम ऐतिहासिक स्थल और धरोहर हैं जिन्हें पर्यटन मानचित्र पर लाने के प्रयास शुरू किये गये, लेकिन
कार्य शुरू नहीं होने से ये योजनाएं परवान न चढ़ सकीं।